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शिव संकल्प की मन माही। यहि तन सती भेंट पुन नाही।।



डॉ ओपी भारती 
गोण्डा: वजीरगंज अंतर्गत गोपालपुरवा गोस्वामी नगर भगोहर  में चल रहे सात दिवसीय श्री राम कथा के क्रम में श्री ओम प्रकाश शास्त्री जी ने याज्ञवल्क्य और भारद्वाज मुनि के संवाद का बड़ा ही रोचक वर्णन किया । साथ ही आगे की कथा में सती जी के भ्रम की कथा भी कहीं । सती जी के भ्रम की कथा को सुनाते हुए श्री शास्त्री जी ने  बताया कि एक बार भगवान शिव जी माता सती के साथ अगस्त मुनि जी के आश्रम में कथा श्रवण के लिए पधारे । वहां पर माता सती जी को भगवान राम के विषय में भ्रम हुआ कि राम ब्रह्म है कि मनुष्य ? इसकी परीक्षा के लिए शिव जी को बिना बताए माता सती ने माता सीता का रूप धारण कर राम के पास गई । भगवान राम ने सीता के रूप में आई माता सती को पहचान कर प्रणाम किया। माता सती के इस कृत्य से भगवान शिव नाराज हो गए , और सती जी को त्यागने का संकल्प कर लिया।
शिव संकल्प की मन माही।
यहि तन सती भेंट पुन नाही।।
बाद में माता सती ने अपने पिता के यहां चल रहे यज्ञ में शिवजी को उचित स्थान जाने की वजह से छुब्ध होकर हवन कुंड में कूद कर खुद को भस्म कर लिया।  श्री शास्त्री जी ने इस कथा का वर्णन बहुत ही मार्मिक ढंग से किया,  जिससे श्रोता भावविभोर हो गए ।श्रीराम कथा में कथा के आयोजक रामजन्म भारती, परमहंस भारती ,प्रेम प्रकाश, ग्राम प्रधान भगोहर सहित तमाम लोग उपस्थित रहे । प्रधान भगोहर श्रीमती मन्थरा देवी ने श्री शास्त्री जी को माल्यार्पण कर उनका स्वागत किया।
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