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टीबी के मरीजों को दर्दनाक 25 इंजेक्शन से मिलेगी निजात, होगा इंजेक्शन फ्री ओरल उपचार




अखिलेश्वर तिवारी
विभागीय अधिकारी व कर्मचारियों को प्रदेश स्तर पर किया जा रहा प्रशिक्षित
प्रशिक्षण पूरा होने व दवा आने के बाद जिले में योजना होगी लागू
बलरामपुर ।। टीबी से लड़ रहे मरीजों के लिए यह खबर राहत देने वाली है। क्योंकि टीबी के मरीजों के इलाज में अब इंजेक्शन का यूज नहीं होगा। सिर्फ दवाइयों से मरीजों का इलाज किया जाएगा। दरअसल शासन का प्रयास है कि टीबी पेशेंट को दर्द रहित ट्रीटमेंट दिया जाए। इसलिए इंजेक्शन फ्री ओरल ट्रीटमेंट शुरू करने की योजना तैयार की गई है। सब कुछ ठीक रहा तो ट्रेनिंग पूरी होने और सभी ओरल पिल व कैप्सूल आने के बाद जिले में योजना की शुरुआत हो जाएगी।

                     जिला क्षय रोग अधिकारी डा. सजीवनलाल ने सोमवार को बताया कि भारत सरकार टीबी के मरीजों का इलाज आसान करना चाहती है। इसके तहत ही तमाम रिसर्च के बाद सरकार ने ये कदम उठाया है। अभी तक टीबी के मरीज को हर महीने 25 इंजेक्शन लगते थे। जबकि इलाज में भी 6 से 9 महीने का समय लगता था। ऐसे में मस्कुलर इंजेक्शन होने के चलते यह मरीजों के लिए काफी पीड़ादायक भी होता था। खासकर बच्चों के मामले में ज्यादा दिक्कतें आती थीं। इसलिए इसे अब पूरी तरह से इंजेक्शन फ्री किया जा रहा है। उन्होने बताया कि इस नये ट्रीटमेंट के लिए प्रदेश स्तर पर ट्रेनिंग दी जा रही है। नया उपचार टीबी के साधारण मरीजों पर ही नहीं बल्कि मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट वाले मरीजों पर भी लागू होगा। नेशनल टेक्निकल एक्सपर्ट ग्रुप की ओर से इंजेक्शन की जगह ओरल ट्रीटमेंट की सिफारिश के बाद इसे लागू किया जा रहा है। नेशनल लेवल पर ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है। जबकि जिला स्तर पर कर्मचारियों को ट्रेनिंग दिया जाना है। 
पहले पांच जिलों में लागू होगी नई टेक्नोलाॅजी
जिला क्षय रोग अधिकारी डा. सजीवन लाल ने बताया कि 17 फरवरी से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में पहले गोरखपुर, लखनऊ, आगरा, मेरठ और झांसी योजना लागू की जाएगी।  इसे सुचारू रूप से लागू करने के लिये सेंट्रल टीबी डिविजन, सभी टीबी यूनिटों की मदद करेगी। निक्षय पोर्टल के जरिए इसकी मॉनीटरिंग की जाएगी जबकि ऑनलाइन ही सभी दवाइयों की पूर्ति होगी। इसके अलावा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भी इस पर नजर रखी जाएगी। जिले में टीबी विभाग के सभी कर्मचारियों के प्रशिक्षण के बाद योजना जिले में लागू कर दी जाएगी।

दिया जा रहा है प्रशिक्षण

             राज्य स्तर पर आयोजित हुए प्रशिक्षण में जिले से अब तक पीएमवीके कोआर्डिनेटर, एसटीएलएस और जिला क्षय रोग अधिकारी को प्रशिक्षित किया जा चुका है। फरवरी अंतिम सप्ताह तक एसटीएस भी प्रशिक्षण के लिए जाएंगे। जिसके बाद जिला स्तर पर कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए प्रशिक्षण का आयोजन किया जाएगा। सभी कर्मचारियों के प्रशिक्षण के बाद जिले में मरीजों को पीड़ा रहित उपचार मिल सकेगा।

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