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आंवले के वृक्ष में वास करते हैं भगवान नारायण:अनिरुद्ध रामानुज दास


शिवेश शुक्ला 
 प्रतापगढ़ । सर्वोदय सद्भावना संस्थान द्वारा रामानुज आश्रम में आमलकी एकादशी एवं रंगभरी एकादशी वैष्णव भक्तों द्वारा धूमधाम से मनाई गई। प्रातः काल  भगवान शालिग्राम का दूध दही घी शक्कर मधु एवं गंगाजल से अभिषेक किया गया।  दोपहर में भक्तों द्वारा रामचरितमानस के सुंदरकांड पाठ का संगीतमय आयोजन हुआ। उक्त अवसर पर ओमप्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास ने ब्राह्मणों को दक्षिणा सहित रामानुज पंचांगम दान करने के पश्चात कहा कि कहा कि इस वर्ष के फाल्गुन मास की यह अंतिम एकादशी थी।आज ही के दिन आंवले की उत्पत्ति हुई थी आंवला भगवान श्रीमन्नारायण को अत्यंत प्रिय है। आंवले के दर्शन पूजन करने एवं आंवला को सेवन करने से महान पुण्य की प्राप्ति होती है। पूर्व काल में देवता दानव गंधर्व राक्षस नाग तथा निर्मल अंतःकरण वाले ऋषि यों को ब्रह्मा जी ने जन्म दिया। उनमें से देवता और ऋषि उस स्थान पर आए जहां विष्णु प्रिया आमलकी का वृक्ष देखा, उसे देख कर देवताओं को बड़ा आश्चर्य हुआ था। वृक्ष को देखने के पश्चात उन लोगों ने कहा पृथ्वी पर पूर्व काल में वृक्ष था किंतु इस वृक्ष  को हम नहीं जानते।उसी समय आकाशवाणी हुई । ऋषियों यह सर्वश्रेष्ठ आमलकी का वृक्ष है। आमलकी एकादशी को सब पापों को हरने वाली वैष्णो व्रत बताया गया है। आमलकी वृक्ष के मूल में विष्णु, ऊपर ब्रह्मा, स्कंध में परमेश्वर भगवान रूद्र ,शाखाओं में मुनि, टहनियों में देवता, पत्तों में वसु फूलों में मरुद गण तथा फलों में समस्त प्रजापति वास करते हैं।भगवान श्री कृष्ण कहते हैं, हे युधिष्ठिर आमलकी एकादशी के व्रत करने से मनुष्य बैकुंठ लोक को प्राप्त करता है, और इस दिन भगवान परशुराम को अर्ध्य देने से भगवान श्रीमन्नारायण अत्यंत प्रसन्न होते हैं।कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ गौरव त्रिपाठी, लालजी दुबे, डॉक्टर सी एम पांडे, राकेश सिंह, आचार्य कमलेश तिवारी, आचार्य दीपक, आचार्य रजनीश शुक्ला ,आचार्य राममूर्ति पांडे, आचार्य बालमुकुंद दुबे ,आचार्य बालकृष्ण मिश्रा, आचार्य संजय तिवारी, पंडित ज्ञानेश दुबे, शैलेश मिश्रा ,रविशंकर मिश्रा, पंडित राजू शर्मा ,अंबुज मिश्रा बद्री प्रसाद मिश्रा, देवेंद्र ओझा एडवोकेट, पंडित गिरीश दत्त मिश्रा , ज्ञानेश्वर तिवारी रामानुज दास सहित भारी संख्या में लोग उपस्थित रह कर भजन कीर्तन और रात्रि जागरण करते रहे।

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