बलरामपुर ।। आज संपूर्ण विश्व कोरोना महामारी की संकट से जूझ रहा है। भारत में भी करोना संक्रमितो की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है । शुरुआत में सरकार ने लगभग 2 महीने का सम्पूर्ण लॉक डाउन कर दिया था जिसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से रुक सी गई थी। जिससे आम लोग भी बहुत प्रभावित हुए हैं। इसी को देखते हुए बलरामपुर जिले के एक स्कूल के प्रबंधक ने स्कूल में पढ़ने वाले सभी बच्चों की 6 महीने की फीस ना लेने का सराहनीय फैसला लिया है ।
जानकारी के अनुसार जनपद मुख्यालय पर डिवाइन पब्लिक स्कूल नाम से एक विद्यालय संचालित है जिसके प्रबंधक आशीष उपाध्याय ने एक सराहनीय फैसला लिया है । श्री उपाध्याय ने अपने स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों के आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए 6 महीने की फीस न लेने का फैसला किया है । जो जनपद में मिसाल के तौर पर देखा जा रहा है । इससे अभिभावक भी काफी प्रसन्न हैं । स्कूल के प्रबंधक का कहना है कि लॉक डाउन होने के कारण कोरोना महामारी के संकट के समय लोगों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो चुकी है जिस कारण अभिभावक फीस देने में अक्षम दिख रहे हैं । इसी को देखते हुए हमारे स्कूल प्रबंध समिति ने करोना संकट में अपनी तरफ से यही सहयोग देने का प्रयास किया है कि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से 01 मार्च से लेकर 31 अगस्त तक फीस न लिया जाए । बच्चों की फीस ना लेने के बावजूद भी स्कूल में काम करने वाले अध्यापकों तथा अन्य कर्मचारियों को पूरा वेतन भी देने की बात प्रबंधक द्वारा कही गई है जो वास्तव में एक सराहनीय कदम है । स्कूल के प्रबंधक श्री उपाध्याय ने बताया कि उनका मानना है कि जब तक सरकार कोरोना महामारी पर पूरी तरीके से नियंत्रण न कर ले तब तक स्कूलों को खोलने का आदेश नहीं देना चाहिए। वही डिवाइन स्कूल बच्चों के लिए मुफ्त में ऑनलाइन कक्षाएं भी चला रहा है साथ ही स्कूल के लिए जो दुकानदार किताबें और कापियां सप्लाई करते हैं उनसे भी बात करके अभिभावकों को किताबें उधार देने की बात कही है। उनका कहना है कि जो अभिभावक पैसे की वजह से किताब ना ले पा रहे हैं वह किताब ले ले और उसका भुगतान अगले छह महीने बाद कर सकते हैं। विद्यालय में कुल 504 विद्यार्थी अध्ययन करते हैं। खैर जो भी हो कोरोना संकटकाल में लोग बढ़-चढ़कर एक दूसरे की मदद के लिए हाथ बढ़ा रहे हैं और जो कार्य प्रबंधक आशीष उपाध्याय ने किया है वह वास्तव में जिले के लिए एक मिसाल है।
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