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CRIMEJUNCTION:महाभारत के समय आषाढ़ अमावस्या को लगा था ऐसा सूर्य ग्रहण :आचार्य प्रदीप तिवारी


आचार्य प्रदीप तिवारी

छल्ले के जैसा नजर आएगा सूर्य ग्रहण

कुछ राशियों पर अच्छा तो कुछ राशियों पर दुष्प्रभाव डालेगा सूर्य ग्रहण
अमरचन्द्र गुप्ता
21 जून रविवार के दिन आषाढ़ मास के अमावस्या सूर्य ग्रहण लगेगा I इस वजह से इसे साल का लंबा दिन भी माना जाएगा देश के कई शहरों में यह सूर्य ग्रहण वाला या कार छल्ले जैसा नजर आएगा यहां इसे 10:17 से 2:02 तक देखा जा सकेगा इस साल होने वाली इस खगोलीय घटना से विभिन्न राशियों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा ।
मां ज्योत्सना मंदिर के वरिष्ठ आचार्य प्रदीप तिवारी की माने तो द्वापरयुग में महाभारत कॉल के दौरान आषाढ़ अमावस्या को ही सूर्य ग्रहण लगा था। जैसे सूर्य के दक्षिणायन होने के उपरांत भीष्मा पितामह को 6 महीने तकसूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार करना पड़ा था ।उन्होंने बताया कि इस सूर्य ग्रहण का विभिन्न राशियों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा ।जिस के दुष्प्रभाव से बचने के लिए अलग-अलग राशियों के जातको को अपने आराध्य देवी-देवताओं की ग्रहण के समय पूजा अर्चना करनी चाहिए जिससे ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचा जा सकेगा ।यही नहीं आचार्य श्री तिवारी की माने तो देश व विदेश की राजनीति पर भी इसका असर देखने को मिलेगा। उन्होंने बताया कि यह इस साल का पहला और आखिरी सूर्य ग्रहण होगा । इसके बाद 2034 में सूर्य ग्रहण नजर आएगा हालांकि इससे पहले 2031 में भी सूर्य ग्रहण पड़ेगा लेकिन वह देश के केरल राज्य में ही नजर आएगा ।
पंडित हेमन्त शुक्ल
पंडित हेमंत शुक्ला ने बताया किआषाढ़ कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर होने वाले सूर्य ग्रहण का सनातन धर्मावलंबियों के लिए विशेष महत्व होगा उन्होंने बताया कि सूतक काल 20 जून से ही शुरू हो जाएगा। नारद पुराण के अनुसार रविवार को आद्रा नक्षत्र में इस ग्रहण का योग है। इस चूड़ामणि योग में तंत्र मंत्र यंत्र की साधना अनायास ही सिद्ध हो जाती है। सूर्य ग्रहण काल में दीक्षा लेना बाद रुद्राक्ष धारण करना भी शुभ माना जाता है। गणपति उपनिषद के अनुसार सूर्य ग्रहण काल में रुद्राक्ष धारण करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं । पंडित हेमंत शुक्ला ने बताया कि धर्म सिंह के अनुसार सूर्य ग्रहण काल में बुजुर्ग रोगी और बालक के अलावा अन्य को भोजन पानी ग्रहण करना नहीं चाहिए ।ग्रहण काल में भोजन जल दूध में कुछ डाल कर रखें, इसके अलावा सूर्य ग्रहण की समाप्ति पर कच्चे अनार फल से श्राद्ध कर्म उस काल में दोबारा स्नान करना चाहिए ।

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