आलोक बर्नवाल
संतकबीरनगर। एक तरफ कोरोना काल मे जहां केंद्र सरकार व राज्य सरकार तत्परता से आम गरीब आबादी के चिंतित है। जिसके लिए शासन ने भी सभी तरह के कदमो को उठाया जा रहा है। जिसमे राशन से लेकर अन्य सुविधाओं को दिया जा रहा है। जिससे कोई ग्रामीण भूख आदि से परेशान न हो। जिसके लिए इस कोरोना महामारी में भी सभी प्रशासनिक संस्थान भी लगे हुए है। लेकिन शासनादेश के बावजूद आम गरीब पात्र परिवार को केरोसिन न मिलने से परेशान हो रहा है। बीते दिनों आपूर्ति विभाग की लापरवाही पर ऑडिशन टाइम्स ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जिससे आपूर्ति विभाग भी सक्रिय हुआ और आनन फानन में सभी प्रक्रिया को पूर्ण कर कोटेदारों को निर्देश दिया गया। जिसके बाद कुछ कोटेदार सक्रिय होकर अपने हिस्से का तेल लेकर वितरण के लिए ले जा चुके है। लेकिन अधिकांश कोटेदार अब भी एसडीएम के आदेश के अनुपालन में कोताही बरत रहे है। कुछ कोटेदार के केरोसिन उठान के बाद अन्य द्वारा न उठाने की सूचना जिम्मेदार को दी गई है। लेकिन जिम्मेदार अधिकारी भी इस बाबत ज्यादा ध्यान नही दिया जा रहा है। जिससे शासन की मंशा को आघात पहुँचाया जा रहा है। शासन का मंशा तो मई माह से ही केरोसिन वितरण की थी। लेकिन जिम्मेदार अधिकारी के हीलाहवाली से केरोसिन से ग्रामीण आबादी वंचित रही। चर्चा यह भी है कि कोटेदार पर केरोसिन का उठान न करने का दबाव भी बना रहे है। जिससे अधिकांश कोटेदार होलसेलर के पास पैसा जमा करने के बाद भी केरोसिन को ले जाने से हिचक रहे है। जिससे कोरोना महामारी के साथ ही विद्युत कटौती भी ग्रामीणो को परेशान कर रही है। केरोसिन न होने से ग्रामीण आबादी अंधेरे में जीने को मजबूर है। इस बाबत होलसेलर द्वारा कोटेदारों द्वारा केरोसिन उठान की सूचना उपजिलाधिकारी को दी गई है। जिसके बाद अब प्रशासन द्वारा क्या कार्यवाही की जाती है। जबकि कोरोना काल मे कोई भी लापरवाही शासन के द्वारा क्षम्य नही है। जिससे यहां पर आपदा सम्बंधित कानून सभी का तरह से उल्लंघन हो रहा है।
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