मतदाता देखते रहे राह, परिजन लगे रहे प्रचार में
आलोक कुमार बर्नवाल
सन्तकबीरनगर। केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक की मंशा रही है कि आधी आबादी का ग्राम से लेकर पंचायत तक प्रतिनिधित्व करते देखने की तमन्ना रखती है। लेकिन हर बार की तरह महिला के लिए आरक्षित सीट पर उसके परिजन ही हर क्षेत्र के प्रचार प्रसार करते ही रहते है साथ ही सोशल मीडिया से लेकर हर तरह के पोस्टर बैनर में महिला प्रत्याशी गायब है। जबकि अन्य परिजन सहित सभी नेताओं के तस्वीरे उपलब्ध रहती है। इस बार भी शासन की मंशा है कि पंचायत चुनाव में भी महिलाओं की सीटों पर महिलाएं प्रतिनिधित्व करके ग्राम के विकास में अग्रणी भूमिका को निभाये। इसी कारण से पंचायत आरक्षण के समीकरण में महिला आरक्षित होने के चलते राजनीतिक धुरंधरों ने अपनी पत्नियों के साथ बहु और बेटियों को मैदान में उतार दिया है। नामांकन पर्चा भरने को ग्राम पंचायत सहित जिला मुख्यालयों पर महिला प्रत्याशी पहुंचती है जबकि अधिकांश महिला प्रत्याशी नामांकन प्रक्रिया को पूर्ण करने के बाद केवल घर की शोभा बढ़ाती है और पंचायत चुनाव के प्रचार प्रसार में केवल घर के पुरुष ही क्षेत्र में जमे रहते है। जबकि महिला प्रत्याशी का अतापता नही रहता है। क्षेत्र की जनता भी प्रत्याशी के इंतजार में रहती है कि प्रत्याशी द्वारा कब प्रचार प्रसार किया जाएगा।
इसी कड़ी में सांथा ब्लॉक के वार्ड नं 5 के महिला प्रत्याशी का शोसल मीडिया सहित सभी जगहों पर लगे पोस्टर आदि पर केवल परिजनों की तस्वीर है। क्षेत्र की जनता भी अपने प्रत्याशी से रूबरू नही हो पाई है। जिससे क्षेत्र की जनता भी अपने प्रत्याशी के लिए राह देख रही है। इस तरह से जनपद में अनेको ग्रामो के महिला प्रधान सीट, बीडीसी सीट एवं जिला पंचायत के सीट पर महिला के जगह पर उनके परिजनों द्वारा ही प्रचार प्रसार किया जा रहा है।
इस तरह से शासन के द्वारा आधी आबादी के हाथ मे विकास की रफ्तार देने के उद्देश्य को पूर्ण करने में बाधक बन रहा है।
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