इमरान अहमद
उत्तर प्रदेश में विधि का शासन है, फिर भी प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी तबादला नीति को ठेंगा दिखा रहें है।नियम कानून को नजरअंदाज कर नेताओं के इशारों पर प्रशासनिक फैसले लिए जा रहे हैं।आलम यह है की अधिकारि अपने ही आदेश को कर्मचारियों से पालन नहीं करा पा रहें हैं।
ताज़ा मामला तहसील मनकापुर का है जहाँ दशकों से छपिया क्षेत्र में जमे लेखपाल का स्थानांतरण उप जिलाधिकारी मनकापुर ज्ञान चंद्र गुप्ता ने छपिया से मनकापुर के भिठौरा क्षेत्र में कर दिया था,तथा तत्काल स्थानांतरित क्षेत्र में कार्य करने का निर्देश दिया। लेकिन सूत्र बताते हैं कि लेखपाल रमेशचंद्र ने न तो नई क्षेत्र में अभी तक योगदान दिया न पुराने क्षेत्र से कार्यमुक्त हो रहें। विश्वसनीय लोगों की मानें तो जिस नेता ने इनका ट्रांसफर करवाया था,वही इनको रोक दिया है। ठीक ऐसा ही मामला पुलिस बिभाग का है। जहाँ सूत्र बताते हैं कि प्रभारी चौकी इंचार्ज गौराचौकी का स्थानांतरण पुलिस अधीक्षक गोंडा ने कर दिया था मगर फ़िर अपने ही आदेश को वापस लेना पडा।अब सवाल उठता है की आखिर सुशासन के राज में यह खेल क्यू खेला जा रहा है। इससे आम जनता का विश्वास कानून से हट सकता है।
वही इस बाबत उपजिलाधिकारी मनकापुर से उनका पक्ष जानने के लिए फोन करने पर फोन रिसीव नही हुआ।
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