अभियान के दौरान नियोजकों से चर्चा करते हुए एंटी ह्युमन ट्रैफिकिंग यूनिट के प्रभारी सुरेश मिश्र ने कहा कि बच्चे किसी देश या समाज की महत्वपूर्ण सम्पति होते हैं, जिनकी समुचित सुरक्षा, पालन-पोषण, शिक्षा एवं विकास का दायित्व भी राष्ट्र और समुदाय का होता हैं क्योंकि कालान्तर में यही बच्चे दिश के निर्माण और राष्ट्र के उत्थान के आधार स्तम्भ बनते हैं । इस अवसर पर चाइल्डलाइन निदेशक नसीम अंसारी ने कहा कि बाल-श्रम एक सभ्य समाज के लिए कलंक है। यह बाल अधिकारों सहित मानवाधिकार का भी हनन है. श्री अंसारी ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र संघ को रिपोर्ट के अनुसार भारत में बाल मजदूरों की संख्या विश्व में सर्वाधिक है । भारत में अनूमानत: बाल श्रमिकों की संख्या 440 लाख से 1000 लाख तक है, किन्तु अधिकृत रूप से इनकी संख्या 17.5 लाख बताई गई है । कुल बाल श्रमिकों का 30 प्रतिशत खेतिहर मजदूर तथा 30-35 प्रतिशत कल कारखानों में कार्यरत हैं । शेष भाग पत्थर खदानों, चाय की दूकानों, ढाबों तथा रेस्टोरेंट एवं घरेलू कार्यों में लगे हुए हैं और गुलामों जैसा जीवन जी रहे हैं । इसीक्रम में श्रम प्रवर्तन अधिकारी महेंद्र प्रताप सिंह ने लोगों को बताया कि बच्चों से बाल मजदूरी कराना क़ानून जुर्म है। इसमें जेल व जुर्माना दोनों हो सकता हैं।
इस अवसर पर चाइल्डलाइन के केंद्र समन्वयक शुभा पांडे ने अपील की कि सभी लोग बाल-श्रम में लिप्त बच्चों की पहचान कर उनके पुनर्वास के लिए आगे आए और यदि 14 वर्ष के कम उम्र का कोई भी बच्चा बाल मजदूरी करते नजर आए तो इसकी सूचना *चाइल्ड हेल्पलाइन के 24x7 टोलफ्री नंबर 1098* पर दे, जिससे बाल अधिकारों का हनन रोका जा सके।
इस अवसर पर चाइल्डलाइन के सदस्य हकीम अंसारी, मेहताब खान, रीना यादव, अभय यादव, बीनम विश्वकर्मा, आजाद आलम, निशा परवीन, सौरभ सहित यूनिट के राम बचन व अन्य पुलिस कर्मियों की भी सक्रिय भूमिका रही.
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