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इस खेती से इन दो युवाओं ने लिख दी इबारत

 

सुनील उपाध्याय

बस्ती: खेती बाड़ी घाटे का सौदा मानकर आज के युवा  जहा रोजगार की तलाश में बड़े शहरों की तरफ रुख कर रहे है वही दो युवा किसानों ने  खस (सुगंधित तेल) की खेती कर सफलता की नयी इबारत लिख दिया ।  निजी कंपनी में इंजीयरिंग जॉब छोड़  कर गांव में खेती करने का फैसला किया दोनो युवा किसानों के अपने मेहनत के बल पर युवाकिसानों के लिए आइकन बने हुए है इन्हें अल्ट्रा इंटरनेशनल  आइकोनिक किसान के रूप में सीसी एसआर , व  सीमैप  लखनऊ द्वारा  आइकोनिक प्रमाण पत्र देकर सम्मानित भी किया गया है, खस की खेती कर शुगन्धित तेल का उत्पादन में भारत में  पहला मुकाम हासिल किया है ये देश के सबसे बड़े खस के खेती के किसान है।

सबसे बड़े तेल उत्पादक में प्रथम स्थान हासिल कर  करोड़ो रूपये  मल्टी नेशनल कंपनियो को  सुगन्धित तेल की सप्लाई  करते , गांव में ही एक 5 सौ लोगों को 6 महीने  रोजगार देते है। बस्ती जनपद से जिला मुख्यालय से 24 किमी दूरी पर कलवारी थाना छेत्र के डिंगरा पुर गांव के दो युवा किसानों मेहनत के बल पर देश के सबसे बड़े ख़स तेल के निर्यातक बन गए है प्रति बर्ष डेढ़ करोड़ से दो करोंन रुपये की टर्न ओवर करते है आज के युवा को  मोटी आय की नौकरी कर परिवार सहित सेटल होने की चाहत सभी युवाओ की होती है लेकिन अमरेंद्र प्रताप सिंह व प्रेम प्रकाश सिंह ने उच्च डिग्री हासिल करने के बाद भी खेती को अपना ब्यवसाय बनाया अमरेंद्र प्रताप सिंह ने इंजीयरिंग की जॉब छोड़कर खेती को अपनाया, पहले ये खस की खेती शुरू करने के लिए सी मैप लखनऊ में 6 दिवसीय ट्रेनिग लेकर तीन एकड़ खेत मे ख़स की खेती शुरू किया इसमें अच्छी आय होने पर ये अपने अगल बगल किसानों से लीज पर खेत लेकर 150 एकड़ खेत मे ख़स की खेती करने लगे  , आसवन विधी से तेल उत्पादन कर मल्टिनेशनल कॉम्पनि, व डाबर, बैद्यनाथ के कंपनी तेल की सप्लाई करते कुछ कंपनी इनके घर से ही तेल खरीद लेती है 14 हजार से लेकर 15 हजार रुपया प्रति लीटर के हिसाब से इसकी कीमत है कोविड 19 के पहले इस तेल की कीमत 25 से तीस हजार रुपये लीटर बिक जाता था लेकिन अब 14 हजार से 15 हजार रुपये बिक रहा है।

खस की खेती किसानों के बरदान के रूप में है इसकी जड़ें से तेल निकाल कर जड़े भी बिक जाती है जिसका प्रयोग कूलर के जाली के रूप में करते है ऊपरी हिस्सा ईंधन व छप्पर छाने में काम आता है इससे ही लेबर का खर्च निकल जाता है इसके लिए खेतो की कोई ज्यादे लागत व तैयारी नही करनी पड़ती , 9 महीने से 12 महीने में पक कर तैयार हो जाता है उसको बाद फसल की कटाईओकटुबर से लेकर फरवरी महीने तक की जांती है आसवन बिधि से तेल निकल लिया जाता है इसके तेल निकालने की यूनिट 1 लाख 60 रुपये में आता है ये खुद अपने मशीनों से तेल निकलते है अगल बगल के किसानों से भी जड़े खरीद लेती है इसमें लागत कम मुनाफा ज्यादा है एक एकड़ से करीब 10 लीटर तेल उत्पादन हो है 14 हजार से 15 हजार प्ररुपये प्रति लीटर रेट है  400 से 500 लोगो को 6 महीने का रोजगार देते है इस तेल की अंतररास्ट्रीय मार्केट में काफी डिमांड रहती है इसके तेल से , परफ्यूम, सेंट, दवा, ठण्ड तेल बनाने के लिए किय्या जाता है कोरोना में थोड़ प्रभावित हुआ है लेकिन भर भी फायदे मंद है। भले ही आज खेती करना किसानों को घाटा का सौदा लग रहा है लेकिन इन दोनों युवाओ ने खेती को फायदे का सौदा साबित कर  ये साबित कर मेहनत वह सुनहरी चाभी है जो खुशकिस्मती के फाटक खोल देती है।

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