कमलेश जायसवाल
धौरहरा खीरी :जनपद लखीमपुरखीरी में शारदा नदी के प्रकोप से ग्रसित अधिकतर गांवों में बने कच्चे घर पानी भरने से भरभराकर गिरने लगे है। जिसके चलते इन घरों में गुजर बसर कर रहे लोगों का उठना बैठना तक मुश्किल हो गया है।
वही प्रशासन द्वारा बाढ़ पीड़ितों को उपलब्ध करवाई जा रही सामग्री ऊंट के मुंह मे जीरा साबित हो रही है। जिसको देख बर्बाद हो चुके बाढ़ पीड़ित क्षेत्रीय लोगों से मदद की आस लगाने लगे है।
ब्लॉक ईसानगर क्षेत्र के गांवों में भरा पानी अब कच्चे मकानों के लिए मुसीबत बनने लगा है।
शुक्रवार को मिश्रगाव जमदरी में मिट्टी से बना श्यामकली पत्नी श्यामलाल का घर गिर गया जिसमें वह दबकर बाल बाल बची थी।
वहीं दूसरी ओर खनवापुर गांव में शिव कुमार सिंह,रानी देवी,रामनरेश,प्रदीप भार्गव,गंगाराम,सोनासर व गोले जगदीश भार्गव समेत एक दर्जन लोगों के कच्चे घर गिर गए जिससे उनका उठना बैठना सोना भी मुश्किल हो गया है।
इसके साथ साथ अल्लीपुर निवासी इदरीश,मुसेपुर समेत आधा दर्जन गांवों में घरों में पानी भरा होने से मिट्टी गीली होकर घर भरभरा कर गिरने लगे है।
यही नहीं लुधौनी में ईंटों की दिवाल के सहारे घर बनाकर रह रहे राजकुमार पुत्र कल्लू,रवि पुत्र सतीश व मदारी पुत्र दीना की मिट्टी की दीवाल गिर गई। जिसके चलते सभी को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है।
लुधौनी में रविवार को प्रशासन की तरफ से सड़क पर गुजर बसर कर रहे 250 लोगों को एक एक तिरपाल बंटवाया गया। वहीं यहाँ अभी 100 लोग तिरपाल से वंचित रह गए। इन लोगों को तिरपाल दिलवाने के लिए ग्राम प्रधान पति दीपक यादव ने तहसील प्रशासन को डिमांड भेजकर जल्द ही तिरपाल उपलब्ध करवाने की मांग की है।
वहीं मड़वा समेत पड़ोस के अन्य गांवों में समस्त बाढ़ पीड़ितों को सिर छुपाने के लिए तिरपाल तक नसीब नहीं हो पाया है। जिसके चलते लोग खुले आसमान के नीचे रहने को विवश है।
खनवापुर में ग्राम प्रधान विपेंद्र सिंह समेत बाढ़ पीड़ित शिवकुमार सिंह,राजकुमार,खुशीराम,रामनरेश,रामनरेश,प्रदीप रामस्वरूप,रमेश,बेचेलाल, सोनासर, मुरली सिंह,मुन्ना सिंह,राजेश,जगदीश, गोविन्द,राजेन्द्र यादव,रंगी लाल,रामवीर सिंह,ब्रहा,रामप्रसाद, छंगा लाल, पेकरमा, हरीलाल,कल्लू सिंह,कल्लू, मेडई, सुनील सिंह,दिनेश सिंह, गयादत्त, मोती आदि ने बताया कि गांव में 100 लोगों से अधिक लोग बाढ़ से पीड़ित है जिनके लिए क्षेत्रीय लेखपाल रविवार को केवल 20 तिरपाल भेजने की बात कही जो तिरपाल लेने से मना करते हुए वापस भेज दिया गया है।
इसी तरह खंडवा मीतमऊ में मात्र 20 तिरपाल,फत्तेपुर व लखपेड़ा में 20 -20 तिरपाल पहुचा कर पल्ला झाड़ लिया गया।
जबकि इन गांवों में बाढ़ पीड़ितों की संख्या 100 के पार है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि तहसील प्रशासन द्वारा पीड़ितों को दी जा रही राहत सामग्री ऊंट के मुंह मे जीरा साबित हो रही है।
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