रजनीश/ज्ञान प्रकाश
करनैलगंज(गोंडा)। भले ही घाघरा के जलस्तर में गिरावट आई हो और बाढ़ से प्रभावित गांवों में जलभराव कम हो रहा हो मगर ग्रामीणों की दुश्वारियां कम होने के बजाय बढ़ती नजर आ रही हैं।
एक सप्ताह से घर बार छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर शरण लिए ग्रामीणों को एक बार फिर से अपने आशियानें को बसाने व खेतों में खड़ी फसल डूब कर बर्बाद हो जाने की चिंता सता रही है।
एक सप्ताह पूर्व विभिन्न बैराजों व पहाड़ी नालों से छोड़े गए सात लाख क्यूसेक पानी के आने के बाद बांध की तलहटी में बसे गांवो में हुई तबाही का मंजर अब साफ दिखने लगा है।
प्रभावित गांवों में पानी तो कम हुआ है लेकिन लोगो के घरों में जहरीले जीव जंतुओं ने डेरा जमा लिया है।
जमें जल में मच्छरों के प्रकोप भी बढ़ गया है। जिससे बीमारी फैलने की संभावना भी बढ़ गई है। जल जमाव के चलते मच्छरों का प्रकोप चरम पर है।
स्वास्थ विभाग की टीम न पहुँचने से लोगो मे आक्रोश है।
हालांकि प्रशासन ने राहत सामग्री जरूर बंटवाना शुरू कर दिया है। अब भी बांध पर रात के अंधेरे में ही बाढ़ पीड़ितों की राते गुजर रही है।
सोमवार को घाघरा घाट एल्गिन ब्रिज से प्राप्त आंकड़ो के अनुसार सुबह आठ बजे तक नदी का जलस्तर खतरे के निशान 106.07 के सापेक्ष 106.126 दर्ज किया गया।
जो कि खतरे के निशान से 5 सेंटीमीटर ऊपर था। शारदा, गिरजा व सरयू बैराजो का कुल डिस्चार्ज 2 लाख 96 हजार 283 क्यूसेक दर्ज किया गया।
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