आर के गिरी
गोण्डा।घटना मोती गंज थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत सेठिया के रेडौरा गांव के जंगल का है। जहां एक नवजात शिशु को जन्मोपरांत किसी महिला ने रेडौरा जंगल में सड़क मार्ग से थोड़ी दूरी पर झाड़ियों की झूरमुट में नग्न अवस्था में डाल गई।
इसे लोक लाज का भय या समाज से बचने का तरीका कहा जाए। माए एक बच्चा को पाने के लिए हजारे देवी देवताओं के चौखट पर माथा टेकती है। वही एक कलयुगी मां ने जन्म लेते ही रिश्तो को तार-तार कर कलंक से बचने के लिए झाड़ियों के झुरमुट में नवजात शिशु को फेंक दिया।
लोग समझ भी ना पाते लेकिन जब सुबह गांव की औरतें शौच के लिए जंगल की तरफ गई थी और वापस लौटते समय बच्चे की रोने की आवाजें हल्की हल्की सुनाई दी।
जिसे सुनकर महिलाएं उस दिशा में गई। तो देखा एक नवजात शिशु (बालक)जो कांटों के बीच नग्न अवस्था में झाड़ियों में पड़ा है। इस बात की चर्चाओं का बाजार गर्म हुआ और मौके पर सैकड़ों लोग जमा हो गए।
जितनी मुंह उतनी तरह तरह की बाते शुरू हो गई। मौजूद लोग ऐसी निर्मोही को अनाप-शनाप कहते हुए धिक्कार रहे थे। महिलाओं तथा कुछ अन्य लोगों ने किसी तरह बच्चे को झाड़ियों व कांटों के बीच से निकाला गया।
उसके बाद लोगों ने इस बात की सुचना थाना मोतीगंज को दी सुचना मिलते ही मोतीगंज थाना प्रभारी निरीक्षक अरविंद कुमार हमराही सिपाहियों के साथ मौके पहुंचे । और थाना प्रभारी निरीक्षक ने तत्काल नवजात शिशु को इलाज के लिए सीएचसी काजीदेवर भेजवाया जहां प्राथमिक उपचार के बाद शिशु को जिला अस्पताल रिफर कर दिया गया जहा उसका इलाज चल रहा है।
उक्त नवजात शिशु पर यह कहावत चरितार्थ हो रही है कि" जाको राखे साइयां मार सके न कोय"
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