रमेश कुमार मिश्र
तरबगंज गोण्डा।गोण्डा जिले के तरबगंज थानाक्षेत्र के ग्रामपंचायत रामपुर टेगरहा में सनसनीखेज मामला सामने आया है ।
जहाँ बने स्कूल की जमीन को लेखपाल हीरामणि मिश्र ने बिना किसी को सूचना दिए पैमाइश कर दबंगो के हवाले करदी।
जिस पर छप्पर रखकर अपनागुजर बसर कर रहे गरीबो को निकाल दिए, छप्पर नल आदि तोड़ दिया।
जो लगभग50हजार रूपये का नुकसान किया। जानकारी होने पर स्कूल प्रबंधक व ग्रामप्रधान ने ग्रामीणों के साथ थाने पर प्रदर्शन करते हुए शिकायत की।
बताते चले की गोण्डा जिले के तरबगंज थानाक्षेत्र के ग्रामपंचायत रामपुर टेगरहा में बने भैया चन्द्रभानदत्त इंटर कालेज की जमीन जो राजा धानेपुर स्टेट ने स्कूल प्रबंधक को दान स्वरूप दी थी। जो मेनरोड से सटी हुई बेसकीमती जमीन है।
जिसपर स्कूल व जमीन की देखरेख कर रहे गरीब कमजोर तबके के लोग किरायानामा के आधार पर छप्पर आदि रखकर गुजर बसर कर रहे थे व स्कूल प्रबंधक उसी जमीन में खेती भी करवा रहे थे। जिसमे गेंहू चने आदि की फसल लगी हुई है। जो स्कूल के तरफ से सरकारी पैसे सै हो रही है।
जिसपर गाँव के दबंग रामधनसिंह राना ने अपने मददगारों के साथ लेखपाल हीरामणि मिश्र को लाकर खुलेआम दबंगई करते हुए अपने पक्ष में पैमाइश करवाकर कब्जा कर लिया व उक्त जमीन पर रह रहे । गरीब व कमजोरो के ऊपर यैसा कहर बरपाया की इस भीषण ठन्ड में लोग बेघर होकर खुले आसमान के नीचे आ गये।
यही नही छप्पर नल आदि तोड़ दिया। खेत में लगी गेहूं की फसल बरबाद कर दिया । जो लगभग 50हजार रूपये का नुकसान किया। जिसकी जानकारी होने पर स्कूल के प्रबंधक दिग्विजय पाण्डेय व ग्रामपंचायत रामपुर टेगरहा के प्रधानप्रतिनिधि बाबूलाल जयसवाल ने गाँव के लोगो को साथ लेकर थाना तरबगंज पहुँचे ।
थाने पर शिकायतीपत्र दिया और कहा की दबंगो के ऊपर तत्काल कार्यवाही करे। इस दौरान गाँव के सैकड़ो गरीब व कमजोर लोग उपस्थित थे ।जिसने एक स्वर में रामधनसिंह राना के ऊपर पैसे लेकर जमीन ना देने का आरोप लगाया।
यही नही साहब सबसे बड़ी बात है चुनाव आचार संहिता लगी हुई है । जिसका पालन कराना दूर उसकी धज्जियां उड़ाने में कोई कोर कसर नही छोड़ना चाहते लेखपाल हीरामणि मिश्र।
क्या कहते है जिम्मेदार
उपजिलाधिकारी तरबगंज कुलदीपसिंह ने फोन पर बताया की हमे जानकारी नही है पता करके बताता हूँ आगर यैसी बात है तो जाँच करवाकर लेखपाल के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी।
वही लेखपाल हीरामणि मिश्र ने बताया की जमीन बंजर की है जो लेखपाल की होती है वो जिसे चाहे दे सकता है।
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