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BALRAMPUR...सुआंव नदी पर एनजीटी सख्त


अखिलेश्वर तिवारी
   जनपद बलरामपुर जिला मुख्यालय पर अवैध अतिक्रमण एवं गन्दे पानी की वजह से अपने अस्तित्व पर आंसू बहा रही सुआंव नदी के दिन अब बहुरने वाले हैं। सुआंव नदी की दुर्दशा को देखते हुए एक स्थानीय संस्था ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के प्रिंसिपल बेंच दिल्ली में एक प्रार्थना पत्र देकर कार्यवाही की मांग की थी। उक्त पत्र को एनजीटी ने गम्भीरता पूर्वक लेते हुए महत्वपूर्ण आदेश दिए हैं। जिससे अब स्वच्छ बलरामपुर, स्वस्थ्य बलरामपुर एवं सुन्दर बलरामपुर की उम्मीद जग गई है। एनजीटी ने पर्यावरण वन और जलवायु मंत्रालय उत्तर प्रदेश, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय के प्रतिनिधियों, जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार, जल शक्ति मंत्रालय उत्तर प्रदेश सरकार एवं जिला दंडाधिकारी बलरामपुर को जांच समिति में शामिल किया है ।

 जानकारी के अनुसार पर्यावरण, वन एवं वन्य जीव संरक्षण समिति के अध्यक्ष पाटेश्वरी प्रसाद सिंह ने 20 अप्रैल 2022 को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को दिए प्रार्थना पत्र में लिखा है कि गोण्डा गजेटियर के अनुसार गोण्डा जनपद में चार नदियां (राप्ती नदी, सुआंव नदी, कुआना नदी एवं बसुही नदी) बहती थी। 19 अक्टूबर 1984 को जब वन नीति घोषित हुई और वन भूमि एवं कृषि भूमि का अलग-अलग विकास हुए। तब इन चार नदियों के बीच कृषि भूमि बनाए गए तथा गांव का विकास हुआ। सुआंव नदी एवं कुआना नदी के बीच वनों एवं झाड़ियों को काटकर कृषि योग्य बनाया गया। बलरामपुर से सटी हुई बहने वाली सुआंव नदी के तट पर तत्कालीन महाराजा बलरामपुर ने व्यापार को बढ़ावा देने हेतु मारवाड़ से कुछ व्यापारी (मारवाड़ी) लाकर बसा दिए, जिसका नाम भगवतीगंज रखा। भगवतीगंज की आबादी बढ़ती गई और सुआंव नदी के किनारे मकान बनते गए, जिससे सुआंव नदी एक नाले के रूप में परिवर्तित हो गई। सुआंव नदी के किनारे बलरामपुर के तरफ एक चौड़े बांध का निर्माण महाराजा बलरामपुर के द्वारा कराया गया, जो भयंकर बाढ़ को झेलते हुए कई बार बलरामपुर शहर को डूबने से बचा चुका है। उसी नदी को सरकार द्वारा अब नाले का रूप दिया जा रहा है और नाले को पाट कर सीवर ट्रीट प्लांट एवं कम्युनिटी हॉल का निर्माण कराया जा रहा है, जो पर्यावरण के लिए बहुत बड़ा खतरा है तथा भगवती गंज के लोगों के जीवन से बहुत बड़ा खिलवाड़ है। इस सन्दर्भ में पर्यावरण, वन एवं वन्य जीव संरक्षण समिति के अध्यक्ष पाटेश्वरी प्रसाद सिंह ने इस सन्दर्भ में राष्ट्रीय हरित अधिकरण को टाटा टी लिमिटेड बनाम केरल राज्य का प्रतिवाद, नालाथन्नी नदी में अपशिष्ट पदार्थ निर्वहन कराने का मामला तथा अजीज मेहता बनाम राजस्थान सरकार आदि केस का उदाहरण भी दिया है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के प्रिंसिपल बेंच नई दिल्ली में न्यायमूर्ति गण अरुण कुमार त्यागी एवं डॉ. अफरोज अहमद ने मूल आवेदन संख्या 433/2022 पाटेश्वरी प्रसाद सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य दर्ज कर 31 मई 2022 को सुनवाई की। इस दौरान न्यायमूर्ति ने पाटेश्वरी प्रसाद द्वारा लगाए गए आरोपों का उचित जांच एवं कार्यवाही के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया है। समिति में पर्यावरण वन और जलवायु मंत्रालय लखनऊ, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय के प्रतिनिधियों, जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार के साथ-साथ जल शक्ति मंत्रालय उत्तर प्रदेश सरकार एवं जिला दंडाधिकारी बलरामपुर को शामिल किया है। समिति को चार सप्ताह के भीतर बैठक एवं सम्बन्धित क्षेत्र का दौरा कर जांच करने तथा जांच के दौरान प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर कार्यवाही करने का निर्देश दिया है। जांच समिति को विशेष रूप से सुआंव नदी की वर्तमान स्थिति, सुवांव नदी का बाढ़ प्रभावित मैदानी क्षेत्र की सीमा तथा उसपर हुए अतिक्रमण एवं अतिक्रमण को हटाने के लिए प्रशासन द्वारा किए गए प्रयास पर जांच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। साथ ही जिलाधिकारी बलरामपुर को तत्काल कार्यवाही करने का निर्देश देते हुए सुआंव नदी में अवैध निर्माण रोकने का आदेश दिया है।

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