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जब नदी के तेज बहाव में जिंदगी बचाने के लिए बाघ ने की जद्दोजहद, रेस्क्यू में लग गई वन विभाग की टीम , बची जान

 


मिथलेश जयसवाल 

गायघाट बहराइच । डीएफओ की सतर्कता और कड़ी मेहनत से एक बाघ की जान जाते-जाते बच गई ।

नदी में जान बचाने के लिए संघर्षरत बाघ:वीडियो


वरना जिस तरह बैराज के बहाव में बाघ फंसा हुआ था लोगों ने तो उस बाघ के बचने की उम्मीद छोड़ दी थी । 


लेकिन डीएफओ आकाशदीप बधावन की मेहनत रंग लाई और बाघ की जान बच गई ।


कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग के कतर्नियाघाट रेंज में नेपाल से निकलने वाली गेरूहा और कौड़ियाला नदी का संगम स्थल कतर्नियाघाट रेंज के कैलाशपुरी स्थित गिरिजा बैराज पर होता है ।


इसके बाद से यह नदी घाघरा बन जाती है गेरूहा और कौड़ियाला दोनो नदी जंगल के बीच से गुजरती हैं ।


आज सुबह ग्रामीणों ने बैराज के पास नदी में एक बाघ को तैरते हुये जिंदगी मौत से संघर्ष करते हुये देखा जिसकी सूचना वन‌ विभाग को दिया ।


ग्रामीणों की सूचना पर आनन फानन में डीएफओ कतर्निया घाट आकाशदीप बधावन वन विभाग की टीम एसटीपीएफ की टीम तथा ड्रोन कैमरा के साथ नदी के किनारे पानी में पंहुच कर रेस्क्यू आपरेशन पूरी सतर्कता के साथ चलाया तथा टीम बनाकर दोनों तरफ से लगाया नाव की मदद से धीरे धीरे बाघ को नदी की मुख्य धारा से मोड़कर जंगल की ओर जाने को बिवस किया ।


जिससे बाघ नदी के किनारे आया और नदी के किनारे लगे गन्ने में जाकर जंगल में चला गया और बाघ की जान बच गयी।


 लगभग तीन घण्टे की कडी मेहनत के बाद बाघ को सुरक्षित जंगल भेजा जा सका।


डीएफओ कतर्निया घाट आकाशदीप बधावन ने बताया कि नदी में जीवित बाघ के तैरने की सूचना मिलते ही मैने पूरे वन टीम के साथ एसटीपीएफ वह ड्रोन कैमरा लेकर मौके पर पहुचा और ड्रोन कैमरे की मदद से रेस्क्यू आपरेशन चलाते हुये टीम बनाकर बाघ को नदी से जंगल में सुरक्षित पंहुचाया जिससे मन को काफी सुकून मिला है। 


डीएफओ ने बताया कि वन विभाग की टीम और आसपास के ग्रामीणों द्वारा जंगल में जाते हुए बाघ को देखा गया इससे पूरी तरह स्पष्ट होता है कि बाघ सुरक्षित जंगल में पहुंच गया । 


इस मौके पर डीएफओ आकाशदीप बधावन, वन क्षेत्राधिकारी रामकुमार प्रथम राम कुमार द्वितीय सहित वन विभाग टीम शामिल रहे।

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