रिपोर्ट:- सत्येंद्र खरे
कौशांबी। टीबी यानि क्षय रोग से निपटने के लिए सरकार की ओर से खजाने का मुंह खोल दिया गया है। इसके बाद भी इस बीमारी पर अंकुश नहीं लग पा रहा। प्रति तिमाही 600 मरीज क्षय रोग विभाग की जांच के दौरान सामने आते हैं। बीमारी के लक्षण मिलने के बाद विभाग की ओर से उनको आधा दर्जन से अधिक गोलियों खानी प ड़ती हैं। इन दवाओं में एक भी दवा खाने में मरीज ने चूक की तो वह गंभीर टीबी (मल्टी ड्रग रजिस्टेंस) का शिकार हो जाता था। ऐसे में उसे दोबारा शुरू से दवा का कोर्स करना पड़ता है। मरीजों को दवाओं की अधिक संख्या से निजात दिलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से नई पहल की गई है। इस नई व्यवस्था के तहत जो दवा क्षय रोग विभाग की ओर से भेजी गई है। वह कई दवाओं को मिश्रण है। ऐसे में मरीज को अब अधिक संख्या में दवाओं का सेवन नहीं करना पड़ेगा। एक गोली ही आधा दर्जन से अधिक दवाओं की खुराक पूरी हो जाएगी। इस दवा की आपूर्ति जिल में की जा चुकी है। प्रथम चरण में 300 मरीजों के लिए छह माह की खुराक की आपूर्ति जिले में कर दी गई है। जो जिले के भिन्न स्थानों पर संचालित 200 डाट सेंटर के माध्यम से मरीजों को उपलब्ध कराई जाएगी। पूर्व में जिन मरीजों को दवा का वितरण कर दिया गया है। उनका उपचार पुरानी दवाओं से ही किया जाएगा।
बीमारी के लक्षण मिलते ही मिलेगी दवा
जिला टीबी एचआइवी क्वाडिनेटर पंकज सिंह ने बताया कि जिन मरीजों को लंबे समय से खासी ओर रही है। इसके साथ ही शरीर में दुबलापन लगातार आ रहा। उनके टीबी के लक्ष्ण हो सकते हैं। बलगम के परीक्षण के बाद टीबी के लक्षण मिलने पर उनको विभाग की ओर से मुफ्त दवा उपलब्ध कराई जा रही है। मरीज बीच में दवा का सेवन बंद कर गंभीर बीमारी के चपेट में आ जाता है। ऐसे में नई दवा से दवाओं को भूलने व अधिक दवा से ऊबने जैसे समस्या से निजात मिल जाएगा। कहा कि जांच के दौरान पाया गया है कि कई मरीज जानबूझ कर किसी दवा से गर्मी अधिक लगने की शिकायत करते हुए उसे बंद कर देते थे। ऐसे में एक दवा होने से अब इस समस्या से भी निजात मिलेगी।
वजन के अनुसार खानी होगी दवा
वजन किग्रा में दवा की संख्या
- 25-39 चार
- 40-54 छह
- 55-69 आठ
- 70 या अधिक दस
क्या कहते है अधिकारी
जेपी साहू, जिला क्षय रोग अधिकारी, कौशांबी ने बताया की मरीजों को टीबी की नई दवा से राहत मिलेगी। इसके साथ ही बीच में एक दवा को बंद करने जैसी बाते कम होने से एमडीआर टीबी के मरीज कम होगें। जिससे टीबी के मरीजों की संख्या भी घटेगी। मरीजों को अधिक संख्या में दवा खाने से भी निजात मिलेगी।
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