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बेसहारा को एसआई ने दिया सहारा,वर्दी पहन इंसानियत की पेश की मिसाल





खुर्शीद खान/राहुल सोनकर

सुलतानपुर. हमारे समाज में वर्दी पहने पुलिस वालों की पहचान अमूमन खौफ या बर्बरता के रूप में ही होती है, इसकी वजह कुछ खाकी वर्दी वाले ही बने हैं। लेकिन सब एक से स्वभाव के नहीं है, कुछ के अंदर मानवीयता भी है। इन्हीं मानवीय संवेदना से लीन एसआई एसपी सिंह हैं, जो की फिलवक्त जिले के बल्दीराय थाने के इंचार्ज हैं। जिन्होंने एक
बेसहारा को सहारा देते हुए वर्दी पहन कर इंसानियत की मिसाल पेश की है।


मां-बेटी की दास्तान सुन पसीज उठा एसआई का दिल, फिर किया ये...

एसआई एसपी सिंह द्वारा इंसानियत की लिखी गई वो कहानी ये है कि थाना क्षेत्र की ज्ञाना जायसवाल बेटी मोहिनी को लेकर थाने पहुंच गई। मां-बेटी ने एसआई श्री सिंह को रोते हुए अपनी जो दास्तान सुनाई उसे सुनकर श्री सिंह का दिल पसीज उठा। बगैर कुछ सोंच-विचार किए उन्होंने सिपाही को बुलाया, जेब से रुपए निकाल कर दिए कि इन पैसों से बाज़ार से सिलाई मशीन खरीद कर लाओ। थोड़ी देर में सिपाही मशीन लेकर हाज़िर था, जिसे एसआई श्री सिंह ने अपने हाथों से मोहिनी को दिया। और कहा बेटी अब तुम इससे अपनी  मेहनत करके अपना और मां का पेट पाल सकती हो।


ऐसी है दर्दनाक इस दास्तान की शुरुआत

गौरतलब रहे कि इस दास्तान की शुरुआत यहाँ से हुई के जब गरीबी का दंश झेल रहा ज्ञाना जायसवाल के घर पर 1 जनवरी 2017 को बड़ी अनहोनी ने दस्तक दिया। घटना कुछ ये रही कि घर में खाना बनाते समय एकाएक आग के शोले भड़क उठे और कुछ ही पल में सारी गृहस्थी जलकर राख हो गई। जिसे देख मां-बेटी हाथ मल कर रह गई। उसका कारण ये के पति लायक होता तो गृहस्थी दुबारा भी बनाई जा सकती थी। परंतु कहने को पति प्रदीप जायसवाल बाहर रहकर कमाता है, लेकिन शराब की लत ने उसे और परिवार को तबाह कर रखा है। नतीजतन अब मां-बेटी के आगे गृहस्थी बनाने का कोई सहारा नही था।

आ गई थी फाके की नौबत

हाँ हादसे के बाद फौरी तौर पर कुछेक सम्मानित व्यक्तियों ने माली मदद कर अपना दायित्व निभाया और फिर हाथ खैंच लिया। जाहिर सी बात है जहां पूरी गृहस्थी ही उजड़ गई हो वहां पहली मंज़िल पर हर व्यक्ति पेट में उठी आग को ही बुझाएगा फिर कुछ बनाने की सोंचेगा। यही मां-बेटी ने भी किया, जो मदद मिली उससे पेट की आग को बुझाया और अब फाके की नौबत आ गई। ऐसे में एसआई की इस मदद ने मसीहा बन जीवन जीने का सहारा दे दिया। वो भी ऐसा की हाथ फैलाने की ज़रूरत ही नहीं सिलाई मशीन का उपयोग कर अपनी कूवत से सब कुछ बनाया जा सके।

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