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Pratapgarh:टिकट नटवरलाल निजाम ने किया सरेंडर, कई की गर्दन फंसी



बुकिंग और आरक्षण के कर्मचारियों से दलाल निजाम के हैं गहरे रिश्ते का पता चला

पूछताछ में कइयों के नाम का हुआ राजफाश, हड़कंप

मनोज रावत 
प्रतापगढ़। रेलवे की आंख में धूल झोंककर पर्सनल यूजर आईडी से छ: साल से टिकट बनाने का अवैध कारोबार करने वाले अमेठी के नटवरलाल मोहम्मद निजाम ने रेलवे सुरक्षा बल के थाने पर मंगलवार को आत्मसमर्पण कर दिया। पूछताछ में उसने अमेठी और प्रतापगढ़ स्टेशन पर वर्तमान में तैनात बुकिंग और आरक्षण के कई कर्मियों के नाम का खुलासा किया है। जो उसके साथ टिकट दलाली के कारोबार में बराबर के हिस्सेदार हैं। नाम सुनकर आरपीएफ वाले भी चौंक गये। उनके अनुसार टिकटों की दलाली में शामिल एक सुपरवाइजर तो बाकायदा दलाली का पैसा प्रतापगढ़ से ले जाकर अमेठी में निजाम को देता था। निजाम के मोबाइल से पता चला है कि उसने अब तक 26100 टिकट बनाये। जिनकी कीमत 26लाख 71 हजार रुपये आंकी गई है। 2014 से अभी तक इसने 40 पर्सनल यूजर आईडी का इस्तेमाल टिकट बनाने में किया है। खास बात यह है कि यह सारा धंधा मोबाइल से करता था। मोबाइल को जप्त कर जांच के लिए साइबर सेल में भेज दिया गया है। उससे अभी और राज खुलने की उम्मीद है। नाम उजागिर होने की घटना ने टिकट दलाली के लपेटे में आये रेल कर्मचारियों की नींद ही उड़ा दी है। पता चला है कि गर्दन फंसती देख लोग आरपीएफ पर बचाव के लिए दबाव बना रहे है। लेकिन उनकी दाल गलती नजर नहीं आ रही है। निजाम को रेलवे एक्ट में जेल भेजा जा रहा है।दरअसल, आईआरसीटीसी से निजाम की दलाली की सूचना मिली थी। उसके बाद आरपीएफ ने जांच शुरू की। मामला सही मिलने पर निजाम की तलाश शुरू हुई। उसके घर अमेठी में रामनगर जंगल छावनी पर छापा पड़ा। लेकिन वह फरार हो गया। घर वालों पर दबाव पड़ा तो वह थाने पर आत्मसमर्पण करने प्रतापगढ़ पहुंच गया। इंसपेक्टर शैलेन्द्र कुमार ने बताया कि निजाम वर्ष 2014 से टिकट दलाली में लिप्त है। पकड़े जाने के बाद इसके मोबाइल से भविष्य की पांच टिकटें बनाने का खुलासा हुआ है। अभी तक 26100 टिकटें बना चुका है। यह इतना शातिर था कि पकड़े जाने के डर से टिकट बनाने में कंप्यूटर और लैपटॉप की बजाय मोबाइल इस्तेमाल करता था। व्हाट्सएप मैसेज भी डिलीट कर देता था। पूछताछ में निजाम ने टिकट दलाली में जिन लोगों के नाम बताये हैं। उनकी भी जांच होगी। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ सख्त कारवाई होगी। 

दर्जी से बन बैठा दलाल
आरपीएफ की जांच में पता चला कि निजाम पहले दर्जी का काम करता था। दुकानों पर कपड़ा सिलता था। लेकिन अधिक पैसे कमाने की चाहत ने टिकट दलाली के धंधे में ला दिया।   तब से यह अमेठी और प्रतापगढ़ के रेल कर्मियों की मदद से टिकट का अवैध कारोबार करने लगे। पुलिस की जांच में निजाम को पैसा पहुंचाने वाले जिस सुपरवाइजर का नाम प्रकाश में आया है। कई साल पहले विजिलेंस ने उसे रंगे हाथ पार्सल से पकड़ा था। बाद में उसका यहां से ट्रांसफर हो गया था। हालांकि बाद में उसे चार्ज शीट भी दी गई थी।

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