संचारी रोग नियन्त्रण और दस्तक अभियान में शामिल विभागों के प्रशिक्षकों का को वर्चुअल प्रशिक्षण
प्रशिक्षण के दौरान दस्तक के विभिन्न चरणों के बारे में जागरुक किये गए प्रशिक्षु
आलोक बर्नवाल
संतकबीरनगर। प्रदेश की स्वास्थ्य और परिवार कल्याण सचिव वी हेकाली झिमोमी ने कहा है कि सितम्बर, अक्टूबर एवं नवम्बर का महीना भी स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत संवेदनशील होता है। इन महीनों में संचारी रोगों का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए यह जरुरी है कि स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित किए बिना दस्तक व संचारी रोग नियन्त्रण अभियान को सफल बनाएं। हमें इस तरह से कार्य करना होगा कि संचारी रोगों पर नियन्त्रण के मामले में उत्तर प्रदेश देश ही नहीं दुनिया के लिए उदाहरण बन जाए।
यह बातें उन्होने आगामी 1 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक चलाए जाने वाले संचारी रोग नियन्त्रण माह एवं दस्तक अभियान के संचालन के लिए प्रदेश स्तरीय वर्चुअल प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहीं। स्वास्थ्य सचिव ने आगे कहा की हमारी जो इकाईयां हैं उनको यह सुनिश्चित करना होगा कि अभियान के दौरान स्वास्थ्य सुविधाएं प्रभावित न हों और सारी सुविधाएं पूरी तरह से क्रियाशील रहें । प्रयोगात्मक तरीके से अपना कार्य करना होगा। लोगों को जागरुक करना होगा ताकि हम लोगों को संचारी रोगों से बचा सकें। डॉ. विकास सिंघल एडी मलेरिया, ने संचारी रोगों के वाहक मच्छरों के प्रजनन , उन्मूलन के साथ ही उनसे बचाव के बारे में विस्तार से बताया । अनन्या घोषाल ने आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका तथा उनके कर्तव्यों के बारे में विस्तार से बताया। डॉ. शिवम शिन्दे ने मानीटरिंग के बारे में बताया। इस दौरान पाथ के बस्ती व गोरखपुर मण्डल के प्रोग्राम आफिसर, डॉ. राहुल काम्बले पाथ के मण्डल कोऑर्डिनेटर , पाथ के स्टेट कोआर्डिनेटर डॉ अर्पित पटनायक, डॉ संजय कुमार, समेत अन्य प्रशिक्षकों ने भी अभियान के बारे में विविध दिशा-निर्देश जिला स्तरीय प्रशिक्षकों को दिए। अन्त में संचारी रोग के संयुक्त निदेशक डॉ एच के अग्रवाल ने सभी प्रतिभागियों के प्रति अपना आभार व्यक्त किया।
बुखार हो तो मरीज समय न गवाएं
यूनीसेफ के कम्यूनिकेशन फार डेवलमेण्ट विभाग के स्टेट आफिसर, भाई शेली ने कहा कि सभी आशा कार्यकर्ताओं को इस बात के लिए जागरुक होना होगा कि वह लोगों के बीच इस बात को पहुंचाने के लिए संकल्पित हों कि कोई भी मरीज समय न गंवाए। किसी तरह का बुखार हो तो उसे तुरन्त ही स्वास्थ्य केन्द्र तक पहुंचाए। प्राय: ऐसा देखा जाता है कि मरीज अधिक वक्त गंवा देता है तथा बीमारी बढ़ जाती है।
दस्तक व संचारी अभियान की यह सफलता
कार्यक्रम के दौरान यह बताया गया कि दस्तक व संचारी रोग अभियान की यह बड़ी सफलता रही है कि इस समय 37 प्रतिशत से बढ़कर 84 प्रतिशत लोगों को यह बताने में कामयाब हुए कि संचारी रोग कैसे होता है। जल शोधन के बारे में 8 प्रतिशत से बढ़कर 25 प्रतिशत लोग जागरुक हुए हैं। इसमें पानी को उबालने की प्रतिशतता अधिक है। जबकि क्लोरीनेशन के बारे में लोगों को अपेक्षाकृत जागरुक नहीं कर पाए हैं। इस बात पर ध्यान देना होगा।
जिले के यह अधिकारी प्रशिक्षण में रहे शामिल
प्रशिक्षण कार्यक्रम ऑनलाइन जनपद स्तर से अपर मुख्य चिकित्साधिकारी वेक्टर बार्न डिजीजी, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी, जिला मलेरिया अधिकारी, जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी, डीपीएम, डीसीपीएम, स्थानीय निकायों के अधिशाषी अधिकारी, बेसिक शिक्षा अधिकारी , जिला विद्यालय निरीक्षक , जिला कार्यक्रम अधिकारी, जिला पंचायत राज अधिकारी, ब्लाक स्तरीय चिकित्सा अधीक्षक, ब्लाक स्वास्थ्य शिक्ष अधिकारी, बीपीएम, बीसीपीएम, एबीएसए, बीईओ, सीडीपीओ, खण्ड विकास अधिकारी, एडीओ पंचायत, जिला पशु चिकित्साधिकारी, जिला सिंचाई अधिकारी व जिला कृषि अधिकारी शामिल तथा उनके प्रतिनिधि शामिल रहे।
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