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Pratapgarh:पैसा लेकर सजेरियन प्रसव के मामले को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने लिया सज्ञान



प्रमुख सचिव – स्वास्थ्य, उ० प्र० सरकार को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में मांगी कृत कार्यवाही की रिपोर्ट  
प्रतापगढ़! सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पट्टी के अधीक्षक द्वारा पैसा लेकर प्रसव किये जाने के मामले में एक स्थानीय समाजसेवी नसीम अंसारी द्वारा शिकायत किये जाने पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने अपने सज्ञान में लेकर प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य विभाग, उ० प्र० सरकार को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में मांगी कृत कार्यवाही (एक्शन टेकेन) की रिपोर्ट मांगी है 
       राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सहायक रजिस्टार (ला) श्री के० के० श्रीवास्तव द्वारा  गत 06 अक्टूबर को उ० प्र० के प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य को भेजे पत्र में कहा है कि शिकायत कर्ता ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पट्टी के अधीक्षक द्वारा 8000 रुपये लेकर प्रसव किये जाने का आरोप लगाया गया है और डाक्टर द्वारा बिना कोरोना जाँच व ब्लड प्रेसर जांच के आपरेशन किया गया, जिससे मरीज की हालत खराब हो गयीं, जिसकी शिकायत करने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी. पत्र में शिकायतकर्ता द्वारा अपने आरोप के पक्ष में डिजिटल साक्ष्य भी प्रस्तुत किये जाने का जिक्र है.       
 उल्लेखनीय है कि गत 15 जुलाई को बाल अधिकारों के मुद्दे पर काम करने वाले पृथ्बीगंज-पट्टी निवासी एक समाजसेवी नसीम अंसारी की बहू अंजुम अंसारी को सुबह प्रसव पीड़ा हुई, जिसके बाद परिवार के लोग पट्टी स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए जहाँ स्टाफ नर्स व डाक्टर ने आपरेशन से बच्चा पैदा होने की बात बताई. इसके लिए आरोप हैं कि अधीक्षक डा० महेंद्र कुमार, जो सर्जन भी हैं ने 08 हजार रुपये की मांग की तथा न देने पर प्रतापगढ़ रिफर करने की धमकी भी दी. परिवार वालों ने डाक्टर से पैसा न होने की विनती की मगर धरती के भगवान कहे जाने वाले उक्त डाक्टर का दिल नहीं पसीजा. परिवार वालों को बहू की प्रसव वेदना जब नहीं सुनी गयी तो साथ गए मित्रों से कर्ज लेकर उक्त डाक्टर को 08 हजार रुपये दिया तब जाकर डाक्टर ने सजेरियन प्रसव की तैयारी शुरू की और कुछ देर बाद एक बेटी का जन्म हुआ. इतना ही नहीं, पैसा लेने की धुन में अनिवार्य कोरोना टेस्ट व ब्लड प्रेसर तक की जांच नहीं की गयी, जिससे 23 जुलाई को टाँका कटने के बाद प्रसूता अंजुम की तबियत अचानक बिगड़ गयी और दौरा आने लगा तो आनन फानन में घर वालों ने पुनः उक्त अधीक्षक डाक्टर को दिखाया तोउन्होंने दवा के लिए फिर पैसे की मांग की और न देने पर उन्होंने बिना देखे सीधे केजीयमयू० लखनऊ रिफर कर दिया, जहाँ प्रसूता की जीवन-मृत्यु के बीच संघर्ष के बाद किसी तरह जान बची. इसकी शिकायत नसीम अंसारी द्वारा स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य निदेशक, अपर स्वास्थ्य निदेशक, मुख्य चिकित्साधिकारी, जिलाधिकारी व उप जिलाधिकारी को 5 -6 बार की गई गयी, मगर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई. थक हार कर शिकायतकर्ता ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया, तब जाकर अभी न्याय की आस जगी है.  इसके पूर्व भी कई बार इस अधीक्षक पर पैसा लेकर प्रसूताओं के आपरेशन किये जाने का आरोप लग चुका है, मगर ऊँचीं पहुँच के नाते कोई कार्यवाही नहीं हुई. ज्ञात है कि  2011 में ही सरकार द्वारा *जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम* के तहत प्रसूता महिलाओं के समस्त सुविधाए दवा, गाड़ी, जाँच, आपरेशन आदि फ्री कर दी गई हैं, इसके बावजूद सरकारी अस्पतालों में आज भी गरीब महिलाओं से लम्बी रकम वसूल किया जाना बेहद शर्मनाक है.

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