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कुदरहा विकासखंड के देवरिया उर्फ टेगरिहा माझा में शुरू हुई पैमाइश



एक  कानूनगो और 5 लेखपालों की मय पुलिस बल बनाई गई टीम

पैमाइश का आदेश होते ही वहां के छोटे किसानों  के चेहरे पर छाई खुशी की लहर

अवैध बालू खनन माफियाओं की मंशा पर फिरा पानी

श्रद्धेय पाल

बस्ती :  कुदरहा विकासखंड के दक्षिण में अविरल बहती प्राचीन  सरयू नदी का किनार नौरहनी घाट से  जाना जाता है। इस घाट पर प्रत्येक रविवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ एकत्रित होती है ,और पवित्र  मां सरयू से स्नान कर लोग स्वयं को पाप मुक्त करते हैं। परंतु इस पवित्र तलहटी पर वर्षों से अवैध बालू खनन माफियाओं और दबंगो की दूषित नजर और उनकी दबंगई से  अक्सर छोटे किसानों की जीविका पर ग्रहण लगता आ रहा है ।आपको बताते चलें कि वर्षा ऋतु की समाप्ति के बाद आए हुए बाढ़ का पानी जब वापस मुख्यधारा की ओर बढ़ता है तो इस तलहटी  रेत की चादर बीछ जाती है, और उस  रेत पर अवैध बालू खनन माफियाओं का कब्जा और दबंग किस्म के लोग उपजाऊ जमीन पर कुंडली मारकर बैठ जाते हैं ,यह प्रक्रिया काफी लंबे समय से चली आ रही थी ।इधर बीच में व्यवस्था बदली और वर्तमान प्रधान प्रतिनिध , अधिवक्ता अमित यादव उर्फ पंकज   यादव ने छोटे किसानों की सुधि ली और लगभग 200 किसानों को इकट्ठा कर प्रार्थना पत्र लिया और उस पर उन किसानों से हस्ताक्षर करा कर  फौजदारी के  अधिवक्ता अंजनी नंदन पाल के साथ उप जिलाधिकारी से मिलकर  ग्रामीणों की समस्याओं से अवगत कराकर प्रार्थना पत्र दिया, और बताया कि  कैसे  छोटे-छोटे किसानों  की भूमि पर  अराजक तत्वों द्वारा उनकी ही भूमि से उन्हें बेदखल कर दिया गया है ।उप जिलाधिकारी सदर ने 200 से अधिक किसानों की समस्याओं को देखते हुए त्वरित निर्णय लेते हुए राजस्व निरीक्षक राकेश सिंह की अगुवाई में 5 लेखपालों की टीम जिसमें विकास मौर्य ,इंद्रजीत यादव, सुरेंद्र यादव, राधेश्याम और रामजीत का गठन किया और थानाध्यक्ष लालगंज को आदेश दिया कि पर्याप्त पुलिस बल की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। राजस्व निरीक्षक राकेश सिंह की अगुवाई में 24 अक्टूबर से लगातार देवरिया उर्फ टेघरिहा बाबू माझा क्षेत्र की पैमाइश का काम तेजी से हो रहा है और वहां के छोटे-छोटे किसानों के चेहरे पर खुशी की लहर देखने को मिल रही है, वही अवैध बालू खनन माफियाओं और दबंग किस्म के व्यक्तियों के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी हैं उनके पैरो तले जमीन  खिसकती नजर आ रही है, क्योंकि इस बार वहां पर पर्याप्त मात्रा में कृषि योग्य भूमि भी पाई गई है। इससे छोटे किसान उक्त  कृषि भूमि पर वर्षों बाद अपनी फसल का उत्पादन कर अपनी जीविका की व्यवस्था कर पाएंगे।

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