इमरान अहमद
मनकापुर गोण्डा:मानव पोषण में फल तथा सब्जियों का बहुत महत्व है। संतुलित आहार व्यवस्था में इनका प्रमुख स्थान होता है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अनुसार प्रति व्यक्ति को प्रतिदिन 120 ग्राम फल तथा 300 ग्राम सब्जी का सेवन करना चाहिए। 300 ग्राम सब्जी की मात्रा में 125 ग्राम पत्ते वाली सब्जी 100 ग्राम कंदवाली तथा 75 ग्राम अन्य सब्जियों से पूरी की जानी चाहिए जबकि फलों तथा सब्जी की उपलब्धता क्रमशः 80 व 120 ग्राम है।
जो बहुत कम है इसका प्रमुख कारण फलों तथा सब्जियों का कम उत्पादन तथा बढ़ती हुई मंहगाई है इन्हें बाजार से खरीदकर खाना हर परिवार के लिए संभव नहीं होता। फलों एवं सब्जियों के सेवन से विटामिन एवं खनिज तत्वों की कमी को दूर किया जा सकता है। सब्जियों और फलों से विटामिन ए, बी, सी, लोहा तथा कैल्शियम जैसे आवश्यक तत्व मिलते हैं। जितनी भी जमीन उपलब्ध हो, उसमें हम जहर मुक्त सब्जियों को उगा सकते है।
यह बात आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र मनकापुर गोंडा की गृह वैज्ञानिक डॉ अर्चना सिंह द्वारा जून 24 से चल रहे अभियान के तहत विकासखंड मनकापुर, छपिया व बभनजोत के अंतिम दिन शनिवार को दलीप का पुरवा और खाले गांव में पोषण वाटिका के स्थापना पर प्रशिक्षण कार्यक्रम में कही। कृषि विज्ञान केंद्रों पर अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन के अंतर्गत किसानों के घरों के अगल - बगल खाली जमीन पर वैज्ञानिक विधि से प्रदर्शन लगवाने का काम किया जाता है। लगाने के प्रति महिलाओं की इच्छा शक्ति को विकसित करना है। जिससे प्रत्येक परिवार के सदस्य के थाली में प्र्याप्त मात्रा में सब्जियों के समावेश के साथ संतुलित आहार मिल सके। इसका उद्देश्य महिलाओं को अपनी व परिवार की पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, बिना किसी अतिरिक्त व्यय के सभी मौसमी ताजी रसायन मुक्त सब्जियां घर पर ही उगा सकते हैं एवं समय का सदुपयोग कर श्रमदान करके सेहत को निरोग व खुशहाल बनाया जा सकता है। अपने रसोई के ही कचरे से खाद बनाकर इस वाटिका में प्रयोग किया जा सकता है।
प्रत्येक परिवार को पोषण या गृह वाटिका लगाना अत्यंत आवश्यक हैं। पोषण वाटिका फलो व सब्जियों की सघन खेती है जिससे परिवार को हमेशा जहर मुक्त ताजी सब्जियां व कम से कम एक फल अवश्य मिलता रहे। इसके माध्यम से बच्चों में कुपोषण महिलाओं में एनीमिया दूर किया जा सकता है। इसमें ज्यादातर नीचे की भूमि में मौसमी सब्जियों के पौधे व बीच-बीच में फल के पौधे लगाया जाता है। जिससे फलों के पौधों को उपर के भागों में विकसित कर दोनों की एक साथ खेती की जा सके। घर के समीप पोषण वाटिका लगाकर अपने परिवार के लिए साल भर की सब्जी और फल की आवश्यकता की पूर्ति कर सकती है। इसमें जैविक विधि से ही सब्जियां पैदा की जाती है। जो स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से बहुत ही फायदेमंद और आहार में फलों एवं सब्जियों पर्याप्त मात्रा, संतुलित भोजन की पूर्ति, मानव स्वास्थ्य आदि कई प्रकार की समस्याओं का निवारण है। बाजार में मिलने वाली सब्जियों में रासायनिक खाद का प्रयोग किया जाता है। जो बेहद नुकसानदेह होता है। पोषण वाटिका के पौधों में पोषक तत्व प्रबंधन के लिए यदि एक देसी गाय है तो गुणवत्ता युक्त सब्जियों व फलों को उगाना संभव है। इस अभियान के दौरान लगभग 08 लोगों को दलीप पुरवा में, 10 लोगों को खाले गांव व 02 मनकापुर की महिलाओं को भारतीय सब्जी अनुसंधान परिषद, वाराणसी की सब्जी किट वितरण किया गया, जिसमें लौकी, नेनुआ, सेम,लोबिया, भिंडी, टमाटर, कद्दू, मिर्च, पालक व मूली के बीज सम्मिलित है। कृषि विज्ञान केन्द्र पर आस-पास के किसानों को उद्यान विभाग के सौजन्य से और अध्यक्ष ओम प्रकाश, डा. एम. के. पाण्डेय, डा. राम लखन सिंह के सहयोग से 27 किसानों को राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान विकास फाउण्डेशन की सब्जी किट व पटखौली छपिया व आस-पास के 18 किसानों को बीज वितरित किया गया जिसमें चार तरह के बीज लौकी, लीबिया, भिन्डी व तरोई शामिल था। प्रशिक्षण के दौरान इनको लगाने का समय व रेखांकन के बारे में बताया गया। बरसात के बाद बीच-बीच में फल पौध का रोपण किया जा सकता है। इस कार्यक्रम में ग्राम दलीप पुरवा की अमृता, कंचन, मूंगा देवी, दुर्गा, खाली गांव से यशोदा, विमलेश पूनम देवी व मनकापुर से सरस्वती और सुमन आदि को सब्जी किट वितरित किया गया। मनकापुर की किरन, सुनिता, प्रवीण, संजय आदि 27 व छपिया की सरिता, सीमा, सुमन व श्रीदेवी सहित 18 को किट वितरित किया गया।
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