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गोण्डा:कस्तूरबा गांधी विद्यालय में हुए घोटाले पर बालिका शिक्षा समन्वयक ने जांच रिपोर्ट पर खड़ा किए सवाल

 

बेसिक शिक्षा अधिकारी पर जानबूझकर फसाने का लगाया आरोप

बेसिक शिक्षा व वित्त लेखा अधिकारी के संयुक्त खाते से हुआ भुगतान

बालिका शिक्षा समन्वयक बोली भुगतान के किसी भी बिल पर नहीं है उनके हस्ताक्षर 

गोण्डा:   कस्तूरबा स्कूलों में हुए 96 लाख रुपये के घोटाले के मामले में डीसी बालिका ने घोटाले की जांच रिपोर्ट पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि जब वित्तीय मामलों से उनका कोई सरोकार नहीं है । और न ही उन्होंने किसी बिल पर हस्ताक्षर किया है ।  फिर वह घोटाले की दोषी कैसे हो सकती हैं। इसके साक्ष्य के तौर उन्होने उस बिल की कापी को मीडिया के सामने पेश किया । जिसके जरिए भुगतान किया गया है। उनका आरोप है कि उन्हे जानबूझकर इस मामले में फंसाया जा रहा है । प्रभारी बीएसए उन्हे फंसाने की साजिश रच रहे हैं। 

 

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उन्होंने कहां की प्रभारी बेसिक शिक्षा अधिकारी विनय मोहन वन को सीधे तौर पर घोटाले का दोषी बताते हुए कहा कि बीएसए व सहायक वित्त लेखाधिकारी के ज्वाइंट एकाउंट से धनराशि का भुगतान किया गया है। इस भुगतान से उनका किसी तरह का कोई लेना देना नहीं है । और न ही किसी बिल पर उन्होने हस्ताक्षर किया है।



 भावुक होते हुए डीसी बालिका ने प्रभारी बेसिक शिक्षा अधिकारी पर अपने पद का दुरुपयोग करने, देर रात महिला स्कूलों का निरीक्षण करने, महिलाओं का शोषण करने व मानसिक उत्पीड़न करने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। डीसी के इन आरोपों के बाद बेसिक शिक्षा महकमें में खलबली मच गई है। 


जिसके पास 2 जिले व मंडल का प्रभार अकेली महिला कैसे लड़ सकती 


जिला समन्वयक बालिका शिक्षा रजनी श्रीवास्तव  ने प्रभारी बेसिक शिक्षा अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि महिलाओं का शोषण करने के अलावा और कुछ नहीं किया है ।  कहां कि विनय मोहन वन की मूल तैनाती बलरामपुर डायट के वाइस प्रिंसिपल के पद पर है। इसके अलावा उन्हे डायट प्राचार्य बलरामपुर व गोंडा का अतिरिक्त प्रभार मिला हुअ है। देवी पाटन मंडल के सहायक शिक्षा निदेशक का प्रभार उनके पास है, गोंडा के प्रभारी बी एस ए का चार्ज है। एक व्यक्ति जिसके पास इतने चार्ज हों उससे एक अकेली महिला कैसे लड़ सकती है। 



बिना महिला अधिकारी लिए रात्रि एक  बजे तक करते हैं निरीक्षण

डीसी बालिका ने कहा कि प्रभारी बेसिक शिक्षा अधिकारी   रात में बालिका स्कूलों का निरीक्षण करते हैं। 19 मार्च को उन्होंने बिना किसी महिला अधिकारी के रात 9.30 बजे से 1.30 बजे तक कस्तूरबा स्कूल का निरीक्षण किया । जबकि राज्य परियोजना कार्यालय का साफ निर्देश है कि कोई भी पुरुष अधिकारी बिना महिला अधिकारी को साथ लिए बालिका स्कूलों का निरीक्षण नहीं करेगा।


यह महिला उत्पीड़न नहीं तो और क्या है । कोई पत्र नहीं दिया गया सीधे स्पष्टीकरण मांग लिया गया। यह उत्पीडन नहीं तो और क्या है। वो ने कहा कि कस्तूरबा स्कूलों में होने वाली नियुक्ति की फाइल उनके कार्यालय से उठा ले गए । अब  यदि उन फाइलों में किसी भी तरह की छेड़छाड़ की जाती है तो उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। इसके लिए उन्होंने उच्चाधिकारियों को सूचित कर दिया है ।




बताते चलें कि भ्रष्टाचार और घोटाले का यह मामला करीब तीन महीने पहले महानिदेशक स्कूली शिक्षा विजय किरन आनंद के प्रेरणा एप पड़ताल के दौरान सामने आया था। पड़ताल के दौरान यह पता चला कि  कस्तूरबा गांधी बालिका स्कूलों में लाकडाउन के दौरान लाखों रुपये खर्च कर दिए गए हैं। शासन के निर्देश पर जब जांच हुई तो 96 लाख रुपये की घोटाला सामने आया। मुख्य विकास अधिकारी सहित तीन सदस्यीय जांच समिति ने इस मामले में जिले के प्रभारी बेसिक शिक्षा अधिकारी विनय मोहन वन, सहायक वित्त लेखाधिकारी सुदीप पांडेय व डीसी बालिका रजनी श्रीवास्तव को दोषी पाया गया सभी के खिलाफ गबन की गई धनराशि के रिकवरी करने के साथ  सप्लाई करने वाली दो फर्मों को भी ब्लैक लिस्ट करने और उनका टेंडर निरस्त करने की संस्तुति की गई थी। इस संबंध में प्रभारी बीएसए विनय मोहन बन ने बताया कि समिति की रिपोर्ट के आधार पर उनके खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गई है ।



जिलाधिकारी मार्कण्डेय शाही ने  डीसी के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई किए जाने से इंकार करते हुए कहा कि 6 जून को उन्होने गबन की गई धनराशि के वसूली की संस्तुति शासन को भेजी थी । उसके बाद उनके स्तर से किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

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