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मनकापुर के गुनौरा में लगी जांच के बावजूद आरोपी पूर्व प्रधान करवा रहे है पशु सेड का पुनर्निर्माण

दुर्गा सिंह पटेल 

गोंडा: ग्राम में किए गये विकास कार्य में लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद जांच शुरू होने पर अपने द्वारा ही कराए गए पशु शेड कार्य को किसी भी कार्यवाही से बचने के लिए पूर्व प्रधान द्वारा पुनर्निर्माण कराया जा रहा है।

जांच के दौरान की फोटो

इससे ना सिर्फ नियमों की धज्जीया उड़ रही हैं,बल्कि जाँच अधिकारियों की आँखों में धूल झोकने की कोशिश की जा रही है। वहीं नियम है कि किसी भी जांच प्रक्रिया के दौरान जब तक जाँच पूरी नहीं हो जाती वहाँ कोई भी निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता




बताते चलें कि मनकापुर के गुनौरा गाँव निवासी द्वारा ग्राम सभा में पूर्व प्रधान द्वारा गबन की शिकायत लोकायुक्त से की गयी थी। जिस पर प्रदेश के  लोकायुक्त,इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके न्यायमूर्ति संजय मिश्र ने ग्राम पंचायत गुनौरा में हुए लाखो रूपये के सरकारी धन के गमन की जाँच के आदेश डीएम गोंडा को दिए थे। 




डीएम मार्कडेय शाही के निर्देश पर जनपद स्तरीय टीम का गठन किया गया था। टीम गांव में जांच करने पहुंची तो वहाँ हड़कम्प मच गया था। जिससे शिकायतकर्ता राम प्रसाद,कृष्ण मोहन चतुर्वेदी व पूर्व प्रधान रघुनायक द्विवेदी के पक्ष के लोग सामने आ गये थे।



 जाँच टीम में जिला विकास अधिकारी दिनकर विद्यार्थी,उपायुक्त मनरेगा संत कुमार,एई सिद्धार्थ सिंह सेंगर सर्वप्रथम प्राथमिक विद्यालय पहुंचे थे। जहाँ जांच करने पहुंची टीम कार्य देख दंग रह गयी थी। स्कूल में लगभग साढे पांच लाख रूपये सरकारी धन खर्च करने के बाद भी स्कूल की हालत जस की तस दिखी थी।



रानिगवाटर के नाम पर 70 हजार रूपये,रंगाई पुताई के नाम पर डेढ लाख रूपये,टाइल्स लगवाने के नाम पर ढाई लाख रूपये व्यय दिखाया गया था। वही मरम्मत हेतु 80 हजार रूपये खर्च करना बताया गया था। 



जबकि मौके पर कार्य बहुत ही गुणवत्ताविहीन पाया गया तथा बच्चों के पेय जल की व्यावस्था बहुत ही खराब दिखी थी। और वहाँ एक भी टोटी नहीं लगी पायी गयी थी। इसके बाद टीम गरीब कल्याण योजना से बनने वाले पशु शेड की जांच करने पहुंची तो पशु शेड भी अधूरे में पाया गया था।यह शेड राघव राम पुत्र सीताराम के नाम से पशु शेड बना दिखाया गया था जो जांच में अधूरा पाया गया था।



 सिर्फ लोहे के एंगल पर घर के पीछे की दीवाल से एक टीना टांग दिया गया था। जबकि प्रति सेड लगभग डेढ लाख रूपये सरकारी खर्च आता है। एक पशु सेड में लगभग 45 बोरी सीमेंट का प्राकलन बनाया जाता है लेकिन यहा तो दस बोरी भी खर्च नहीं पाया गया था।




वहीं शिकायत कर्ता का आरोप है कि एक ही नाली निर्माण को नाम बदल कर लाखो रूपये का भुगतान दो-दो तीन-तीन बार कर लिया गया था।तालाब की खुदाई भी नही हुई लेकिन आईडी बदल बदल कर लाखो रूपये कि भुगतान ले लिया गया है।इसी तरह द्विवेदी टेर्डस जो कि ग्राम प्रधान के सगे भाई हैं उनके फर्म पर लाखों रूपये का भुगतान फर्जी तरीके से किया जाने का आरोप है। पुराने लगे खंडंजे को नया कार्य दिखा कर लाखो रूपये गबन किया गया।



 हैंड पम्प मरम्मत व रिबोर के नाम पर लाखो रूपये डकारे गये। इस दौरान टीम देर शाम तक निरीक्षण करती रही। वही इस बाबत डीडीओ दिनकर विद्यार्थी ने बताया कि जांच अभी चल रही था।प्रथम दृष्टया गमन प्रतीत हो रहा है,जिसकी रिपोर्ट सम्पूर्ण जांच हो जाने पर उच्चधिकारी को सौंपी जायेगी।

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