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किसान के बेटे ने युवा उद्यमी बन युवाओं के सपनो को दिया पंख

लखनऊ:एक प्रचलित कहावत है कि "कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों...!" 


इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है लखीमपुर के फरधान क्षेत्र के सकतापुर गाँव के मूल निवासी एक मध्यम वर्गीय किसान राम नरेश मिश्रा के पुत्र अर्पण मिश्रा ने। 


अर्पण मिश्रा ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा गाँव के ही किसान इंटर कॉलेज, फरधान से पूर्ण की। उसके बाद उच्च शिक्षा के लिए इनका चयन कानपुर नगर के भाभा इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में हो गया जहां से इन्होने कंप्यूटर साइंस में बी टेक एवं एम टेक की शिक्षा ग्रहण की।  


अर्पण मिश्रा का रुझान बचपन से ही शिक्षण क्षेत्र में था इसलिए इन्होने डॉ ऐ पी जे अब्दुल कलाम टेक्निकल विश्वविद्यालय से संबद्ध कानपुर एवं लखनऊ के कई शिक्षण संस्थानों में असिस्टेंट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष के रूप में काम किया। 


शिक्षण कार्य के दौरान इन्हे यह आभास हुआ कि ज्यादातर छात्र केवल डिग्री तो हासिल कर ले रहे है लेकिन इंडस्ट्री में जरूरी निपुणता हासिल नहीं कर पा रहे है।  


छात्रों को इंडस्ट्री में प्लेसमेंट के लिए जरूरी निपुणता की उच्च स्तरीय जानकरी एवं प्रशिक्षण के साथ साथ छात्रों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए अर्पण मिश्रा ने अपने शिक्षक संजीव सिंह व मित्र अश्विन कृष्णा गौर के साथ मिलकर सन 2020 में लखनऊ के जानकीपुरम विस्तार में सॉफ्टवेयर एवं डिजिटल मार्केटिंग कंपनी डिजिटल नैविगेटर्स की शुरुआत की। 


श्री मिश्रा बताते है कि शुरूआती दिनों में उन्होंने केवल एक कर्मचारी के साथ काम की शुरुआत की थी और बाकी काम सभी पार्टनर मिलकर करते थे।  फिर धीरे धीरे लोगों में कंपनी के प्रति विश्वास बढ़ता गया एवं नए उपभोक्ता जुड़ते गए।  


वर्तमान में डिजिटल नैविगेटर्स में 25 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं एवं कम्पनी अबतक 500 से अधिक क्लाइंट्स के साथ काम कर चुकी है। डिजिटल नैविगेटर्स वर्तमान में लखनऊ की बेहतरीन सॉफ्टवेयर एवं डिजिटल मार्केटिंग कंपनियो में शुमार है। 

अर्पण मिश्रा अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, बड़े भाई अतुल मिश्रा एवं अपने सहकर्मियों को देते हैं।

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