रजनीश/ज्ञान प्रकाश
करनैलगंज(गोंडा)। महंगाई पर महंगाई के बोझ को बढाने में बैंकों की प्रणाली भी पीछे नही है।
ग्राहकों को अपना धन व व्यापारियों को बैंक खाते से लेनदेन करने पर लगने वाला शुल्क व्यापारियों के लिए जंजाल बन चुका है।
व्यापारियों को अपने ही खाते में धन का लेनदेन करने के लिए जमा व निकासी पर पड़ने वाला शुल्क व्यापार में बोझ बन गया है।
धन जमा करने पर कैश हैंडलिंग चार्ज व उस चार्ज पर 18 प्रतिशत जीएसटी, निकासी करने पर टीडीएस की कटौती व्यापारियों के लिए बड़ी चुनौती बन गई है।
लगभग लगभग सभी सरकारी व अर्ध सरकारी बैंकों में जमा और निकासी पर निर्धारित किए गए शुल्क ने महंगाई की मार में बढ़ोतरी कर दी है।
सभी बैंकों में एक लाख से अधिक कैश जमा करने पर प्रति हजार एक रुपए शुल्क एवं शुल्क पर 18 प्रतिशत की जीएसटी लगने से व्यापारियों की कमर टूटती नजर आ रही है और व्यापारी उस टैक्स की भरपाई के लिए विक्रय सामग्री पर बढ़ोतरी करने को मजबूर हो रहे हैं।
नगर के बड़े व्यापारियों में अशोक सिंघानिया, नन्दकिशोर सिंघनिया, सुरेश कुमार पुरवार, अमरदीप सिंह, परमानंद जयसवाल, प्रमोद कुमार, सुधीर कुमार, मोहम्मद कय्यूम, अवधेश कुमार, अनोखेलाल आदि का कहना है कि किसी बैंक में एक लाख तो किसी बैंक में 2 लाख तक जमा निकासी पर शुल्क की कटौती नहीं होती है।
इससे अधिक के जमा निकासी पर बैंकों द्वारा जमा धन पर कैश हैंडलिंग चार्ज एक रुपए प्रति हजार और उस शुल्क पर 18 प्रतिशत की जीएसटी के साथ साथ निकासी वाले धन पर टीडीएस की कटौती की जा रही है।
जो व्यापार करने में बाधक बन रही है। उस कटौती के धन की भरपाई व्यापारी कहां से करें समझ में नहीं आ रहा है।
भरपाई के लिए विक्री व खरीदी जाने वाली सामग्री पर दाम घटाना व बढ़ाना पढ़ रहा है। व्यापारियों का कहना है कि बैंकों पर कैश हैंडलिंग चार्ज की कटौती न करने का दबाव बनाने पर 5 लाख से लेकर 25 लाख तक की डिपॉजिट मांगी जा रही है।
जो व्यापारियों का पैसा एक मुस्त उस बैंक में जमा रहेगा और उस पैसे से उनका कोई व्यापार नहीं हो सकेगा। उसमें भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
बैंकों की इस कार्यप्रणाली से महंगाई पर बोझ पड़ रहा है। जो सीधे तौर पर ग्राहकों से न लेकर व्यापारियों के माध्यम से बैंकों द्वारा कराया जा रहा है।
व्यापारियों ने व्यापार खाते पर कैश हैंडलिंग चार्ज व टीडीएस की कटौती बंद कराने की मांग को लेकर कई बैंकों के चेयरमैन सहित रीजनल मैनेजर को मांग पत्र भेजा है।
उधर प्रथमा यूपी ग्रामीण बैंक के शाखा प्रबंधक गिरिजा कांत सैनी, भारतीय स्टेट बैंक के प्रबंधक राम आधार एवं बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंधक जीतेंद्र मौर्य का कहना है कि बैंक नियमावली के तहत कैश हैंडलिंग चार्ज व टीडीएस की कटौती कम्प्यूटर पर जमा करने के बाद स्वतः हो जाती है उसमें किसी प्रकार का हस्तक्षेप शाखा से नहीं किया जा सकता है।
जो बैंक नियमावली के तहत है उसकी कटौती होती है।
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