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मानवतावाद को विश्व एकतावाद के भाव में व्याप्त कर देता है :- आचार्य सत्याश्रयानंद


शिवेश शुक्ला 
प्रतापगढ़ । आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से आयोजित तीन दिवसीय सेमिनार के दूसरे दिन शनिवार को रूपा नगर ,जोगापुर स्थित “ जागृति” के प्रांगण साधकों ने अष्टाक्षरी सिद्ध महामंत्र "बाबा नाम केवलम" का अखंड कीर्तन गायन कर वातावरण को मधुमय बना दिया। 

इस अवसर पर उपस्थित केंद्रीय प्रशिक्षक आचार्य सत्याश्रयानंद अवधूत ने "नव्य-मानवतावाद की दृष्टि में अहिंसा” विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नव्य मानवतावाद मानवतावाद का भी अतिक्रमण कर जाता है जहां केवल मानव की भलाई का ही चिंतन नहीं किया जाता वरन् संपूर्ण जड़ एवं चेतन, सजीव- निर्जीव, पशु पक्षी, ईट पत्थर सबकी भलाई का चिंतन एवं उचित व्यवहार किया जाता है। नव्य-मानवतावाद  श्री सरकार द्वारा दिया गया संपूर्ण सर्वांगीण दर्शन है | 

मानवतावाद की मूल धारा को मात्र में अवरुद्ध न रखकर विश्व के चर - अचर में व्याप्त कर देता है यानि मानवतावाद को विश्व एकतावाद अर्थात सर्वजीव भाव में व्याप्त कर देता है ।मनुष्यो के लिए यह अंतिम आश्रय है। आचार्य नव्य-मानवतावाद के परिपेक्ष में अहिंसा की विशद व्याख्या करते हुए कहा कि अहिंसा यम साधना का एक अंग है। अहिंसा साधक को संयम की शिक्षा देता है संयम का अर्थ हत्या करना अथवा किसी को नष्ट करना नहीं है। एक छोटे फतींगे में भी प्राण है, शाक सब्जी के भीतर भी जीवंत कोष है किंतु मनुष्य को युक्तिसमझकर चलना होगा-- "जीवो जीवस्य भोजनम्" की उक्ति का उचित परख करते हुए चलना होगा। आनंद मार्ग में अहिंसा की परिभाषा देते हुए कहा गया कि मन, वाणी और शरीर के द्वारा किसी को पीड़ा या कष्ट न पहुंचाना ही अहिंसा है।

 खाने के लिए पशुओं की हत्या करना हिंसा है। शासन के लिए पुलिस या सेना द्वारा बल प्रयोग करना ही होगा अतः यह हिंसा की श्रेणी में है।अत्याचारी का प्रतिकार करने के लिए शक्ति का प्रयोग करना भी अहिंसा है। हमारे जिस किसी विचार या कार्य के पीछे किसी को तकलीफ देने का भाव हो वह हिंसा है। देह रक्षार्थ अन्न ग्रहण करना हिंसा नहीं है अतः  शाक सब्जी मिलने से पशु हत्या ना करना ही उचित एवं विवेकपूर्ण है। आततायी के विरुद्ध परिस्थिति के दबाव में पर कर बल प्रयोग करना हिंसा नहीं है क्योंकि आततायी वे हैं जो बलपूर्वक किसी का जमीन जायदाद हड़प लेता है, दूसरे की पत्नी का अपहरण करता है,

 शस्त्र लेकर हत्या करता है, धन लूटना चाहता है, घर में आग लगाता है, विष देकर मार डालना चाहता है- ऐसी आततायियों के विरुद्ध बल प्रयोग का परिणाम हिंसा पूर्ण है तो भी वह अहिंसा ही है। मांसाहार आत्यंतिक लोभ है।इस अवसर पर रमेश पांडे , जिला सचिव प्रेमचंद्र, तात्विक डॉ रामचंद्र,पारिजात सहित इलाहाबाद ,वाराणसी, गाजीपुर, जौनपुर, रायबरेली एवं अमेठी के भुक्ति प्रधान उपस्थित रहे।

 इस कार्यक्रम में योग का प्रशिक्षण आचार्य हरगोविंदानन्द अवधूत,आचार्य रागामृतानंद अवधूत,आचार्य विष्णुमित्रानंद अवधूत,आचार्य सुहृदानन्द अवधूत,आचार्य वीरव्रतान्द अवधूत एवं सन्यासिनी गण पूरी तन्मयता से दे रहे हैं ।

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