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‘‘साइलेंट किलर’’ पर लगेगा लगाम, 17 फरवरी से चलेगा फाइलेरिया मुक्ति अभियान


अखिलेश्वर तिवारी
29 फरवरी तक 1938 टीमें 24 लाख 3 हजार 428 लोगों को खिलाएंगी दवा 
फाइलेरिया है लाइलाज बीमारी, बचाव के लिए दवा खाना है जरूरी
बलरामपुर  ।। फाइलेरिया एक लाइलाज बीमारी है, यदि समय पर इसका इलाज नहीं हुआ तो ये जीवन भर का दर्द दे सकता है। साइलेंट किलर कहे जाने वाली ये बीमारी मच्छर का डंक लगने के कई सालों बाद उभरकर आती है। इसकी शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज करना घातक हो सकता है। फाइलेरिया जैसी घातक बीमारी को फैलाने वाले परजीवी रात में सक्रिय होते हैं। इसलिए बीमारी की पहचान के लिए रात में खून की जांच कराना जरूरी है। 
      
                 सीएमओ कार्यालय सभागार में शुक्रवार को आयोजित मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए यह बातें अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. ए.के. सिंघल ने कही। जिले में फाइलेरिया मुक्ति अभियान के तहत शुरू होने वाले एमडीए 2020 कार्यक्रम से पहले उन्होने बताया कि फाइलेरिया के परजीवी की पहचान हो जाने के बाद 12 दिनों तक बीमारी की दवा नियमित रूप से खानी पड़ती है। यह बीमारी मादा क्यूलेक्स मच्छर काटने से फैलती है। जिले में चलाए गये नाइट ब्लड सर्वे के दौरान अब तक 6 पाॅजिटिव केस सामने आये हैं जिनका इलाज शुरू कर दिया गया है। 17 से 29 फरवरी तक चलने वाले मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) के दौरान आशा घर घर जाकर गर्भवती महिला, बुजुर्गो, बीमार व्यक्तियों और दो साल से कम छोटे बच्चों को छोड़कर सभी को डी.ई.सी व अल्बेंडाजोल दवा खिलाएंगी। यह दवा खाली पेट नहीं खानीं है। जिला मलेरिया अधिकारी मंजुला आनंद ने बताया एमडीएम को लेकर जिला से लेकर ब्लाक स्तर तक के लोगों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। अभियान के दौरान जिले की कुल आबादी 24 लाख 3 हजार 428 लोगों को दवा खिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है जिसमें 1938 टीमें लगाई गई हैं। प्रत्येक टीम में दो सदस्य होंगे। टीम के सदस्य किसी भी हाल में लाभार्थी को दवा देने के बजाय अपने सामने ही दवा खिलाएंगे। यूनिसेफ की डीएमसी शिखा श्रीवास्तव ने बताया कि 5 से 6 साल तक साल में एक बार दवा खाने पर इस बीमारी के होने की संभावना जड़ से समाप्त हो जाती है। दवा खाने के दौरान यदि किसी व्यक्ति को कभी कभी सिर दर्द, शरीर में दर्द, बुखार, उल्टी, बदन पर चकत्ते या खुजली जैसी कोई समस्या आती है तो इसका मतलब है कि उस व्यक्ति के अंदर माइक्रो फाइलेरिया के लक्ष्य मौजूद हैं। इस दौरान आशा की सूचना पर रैपिड रिस्पांस टीम मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित करेगी। जिले में चलने वाले 15 दिवसीय अभियान के दौरान पंचायती राज विभाग, बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग, नगर निकाय, बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग, जिला पूर्ति विभाग के साथ साथ सूचना विभाग, मनोरंजन विभाग, रेलवे आदि विभागों से सम्पर्क कर उनका सहयोग लिया जा रहा है। कार्यशाला के दौरान जिला स्वास्थ्य शिक्षा सूचना अधिकारी अरविंद मिश्रा, पीसीआई कोआर्डिनेटर धर्मवीर, बृजेश श्रीवास्तव, पिरामल फाउंडेशन से सिद्धार्थ भटनागर, मलेरिया इंस्पेक्टर अमरेंन्द्र, सुधीर सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

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