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मनकापुर:यहाँ सदियों से मुस्लिम कुम्हारों के हाथों बने दियों से जगमग होती है दिवाली

इमरान अहमद 

मनकापुर गोण्डा :आज के आधुनिक युग में रंग बिरंगी वा सस्ते दामों से बाजारों में भरे पड़े चाईनीज लाइटों,झालरों के बावजूद भी सदियों से चली आ रही पारंपरिक मिट्टी से बने दीपों का चलन जोरों पर है। 


जहाँ हर दीपावली पर रोशनी करने के लिए दीयों को मुस्लिम कुम्हार अपने हाथों से तैयार करते हैं 


यहाँ पिछले कई सदियों से दीपावली में मुस्लिम कुम्हारों द्वारा मिट्टी से बने दियों का इस्तेमाल रोशनी करने के लिए किया जाता है।


हालांकि पिछले कई सालों से रंग बिरंगी व चमचमाती चाईनीज लाइटों के बाजार में आ जाने से कुम्हार द्वारा बनाए गये मिट्टी के दीयों की खरीददारी कम जरूर हुई है,पर आज भी देश की मिट्टी से बने दीपों का चलन बाजारों में देखने को मिला है।


बीते  साल चाइनीज सामानों के बहिष्कार से जहां स्वदेशी निर्मित चीजों की डिमांड बढ़ी थी। 


वहीं इस साल भी लोग विदेशी सामानों की जगह देश में निर्मित होने वाले सामानों को उपयोग में ला रहे हैं। पिछले कई वर्षों से मिट्टी से बने समान बनाने वाले पुश्तैनी व परंपरागत मुस्लिम कुम्हार आशिक अली बताते हैं कि वह बचपन से ही बुजुर्गों से विरासत में मिली मिट्टी से बने सामानों का कारोबार अपने परिवार के सभी सदस्यों के साथ मिलकर करते आ रहे हैं।


दीपावली में रोशनी करने के लिए जलाए जाने वाले मिट्टी के दीये व खिलौने उनका पूरा परिवार मिलकर बनाता है और उसकी बिक्री करता है।


लेकिन पिछले कुछ वर्षों से चाइनीज सामान बाजार में आ जाने के कारण उनका कारोबार बंद होने के कगार पर पहुंच गया है।


लेकिन इस बार लोगों द्वारा विदेशी सामानों के बहिष्कार से उम्मीद है उनकी बिक्री अच्छी होगी। 


वहीं बेजान मिटटी में अपनी कला से जान डालने वाले कुम्हार शाह मोहम्मद बताते हैं कि मिट्टी से बने सामानों का कारोबार उनकी पिछली तीन पीढ़ी करती आ रही है। 


हालाँकि वोह आज अपनी इस कला के लिए आसू ज़रूर बहाते नजर आ रहे हैं,क्योंकि जान डालने की कला उन्हें जो विरासत में मिली है वो आज दम तोड़ती नजर आ रही है। 


वो बताते हैं की पिछले कई वर्षों से लोग मिट्टी से बने सामानों की खरीददारी कम कर रहें हैं।जिससे उनका रोज़गार में कमी आयी है।


हालाँकि आशा है की इस बार चीन से चल रहे तकरार के कारण लोग दीपावली में मिट्टी से बने सामानों की खरीददारी करेंगे।


उन्हें उम्मीद भी है की अगर इस बार उनका कारोबार बेहतर होता है तो उनके भी घर रोशन होंगे और वह भी अपने बच्चों के लिए मिठाईयां कपड़े खरीद सकेंगे

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