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बेसिक शिक्षा विभाग का नया फरमान: टीबी मरीजों को गोंद लेंगे शिक्षक


                              बयान


गौरव तिवारी 

खबर प्रतापगढ़ से है जहां बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों में बीएसए के एक फरमान ने हड़कम्प मचा दिया है, 


वैसे ही बेसिक शिक्षा पूरी तरह चरमरा चुकी है क्योंकि नए शैक्षणिक सत्र को चार माह बीतने को हैं लेकिन बच्चों को किताबे मुहैय्या कराने में सरकार फेल साबित हो चुकी है। 


अब पढ़ाई पर एक और गाज गिर गई बेसिक शिक्षा अधिकारी के नए फरमान से, ये नया फरमान है शिक्षकों को टीबी मरीजों को गोद लेकर उन्हें टीबी रोग से लड़ने के लिए मदद करने दवा खिलाने, उनकी निगरानी करने व जागरूक करते रहने का, इतना ही नहीं जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से बात कर उनके इलाज में उचित सलाह भी उपलब्ध कराना। 


बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सिविल अपील वाद संख्या 5659 वर्ष 2007 में आदेश को पारित किया गया है कि शिक्षकों से शैक्षणिक दिवस एवं शैक्षणिक समय में गैर शैक्षणिक कार्य न कराया जाए। 


उक्त आदेश के क्रम में शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने भी राज्य के सभी जिला स्तर के विभागीय अधिकारियों को आदेश जारी कर शिक्षकों से किसी भी कीमत पर शैक्षणिक अवधि में गैर शैक्षणिक कार्य नहीं लिए जाने का आदेश जारी किया था, 


बावजूद काफी संख्या में शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यो के लिए प्रतिनियोजन विभागीय अधिकारियों ने कर रखा है। 


शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 में भी शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य लेने की रोक लगाई गई है। 


इस बाबत बेसिक शिक्षा अधिकारी भूपेन्द्र सिंह ने बताया कि डीएम डॉ. नितिन बंसल ने टीबी उन्मूलन के सम्बंध में एक समीक्षा बैठक की थी बैठक में आदेश दिए गए थे कि टीबी मरीजों को अब शिक्षक गोद लेंगे, 


इसी क्रम में सीएमओ ने भी पत्र जारी किया था जिसके क्रम में सभी खण्ड शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी सभी शिक्षकों की सूची बनाने का निर्देश दिया गया है, सूची तैयार होते ही जिला क्षय रोग अधिकारी को उपलब्ध करा दी जाएगी।


 बता दें कि जिले में 2300 विद्यालय है, जहा तकरीबन 10 हजार शिक्षकों की तैनाती है, तो वहीं जिले में टीबी मरीजों की संख्या लगभग 2,995 है। 


बड़ा सवाल की WHO की तरफ से टीबी रोग के खिलाफ जिला स्तर से लेकर ब्लाक स्तर पर RNTC अभियान के तहत संविदा पर कर्मियों की तैनाती की गई था और सभी को इस काम को गतिशील बनाने के लिए बाइक भी उपलब्ध कराई गई थी ।


लेकिन ये योजना परवान नहीं चढ़ सकी थी। ऐसे में बड़ा सवाल है भारत के भविष्य के भाग्यविधाता का भविष्य कैसे सवरेगा जब टीबी के मरीजों को समय देंगे शिक्षक, बड़ा सवाल तो ये भी है कि क्या इस तरह के आदेश से सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कही अवमानना तो नहीं कर रहे हैं अफसर।

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