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बहराइच में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस एवं स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का जन्म दिवस मनाया गया।

 


सलमान असलम 

बहराइच जन सांस्कृतिक एवं सामाजिक विकास संस्थान ने राष्ट्रीय शिक्षा दिवस एवं स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के जन्म दिवस के अवसर पर महिला महाविद्यालय में नारी शिक्षा की उपलब्धियां और भविष्यगत चुनौतियां विषय पर केन्द्रित एक सेमिनार का आयोजन किया गया ,,


इस आयोजन में वक्ताओं के रूप में वामा सारथी परिवार बहराइच की अध्यक्षा श्रीमती प्राची चौधरी जी,, विधि विशेषज्ञ/अधिवक्ता श्रीमति अमृता मिश्रा जी, महिला महाविद्यालय की प्रोफेसर डॉ क़मर जहां,,भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की ज़िला महामंत्री डॉ ज्योति सिंह जी, स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ संगीता मेहता जी,, नटराज म्यूजिक इंस्टीट्यूट की संस्थापक श्रीमति श्रध्दा पांडेय जी, भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की ज़िला उपाध्यक्ष  डॉ अभिलाषा वर्मा जी  पधारी,,

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन  व मौलाना अबुल कलाम  आज़ाद के चित्र पर माल्यार्पण करके किया गया कार्यक्रम को गति देते हुए संस्थान की सदस्या वर्तिका सिंह ने  आमंत्रित अतिथियों तथा महाविद्यालय की सभी प्रोफेसर्स  का स्वागत  रोली अक्षत से तिलक लगाकर और संस्थान की उपाध्यक्ष श्रीमती चरण जीत कौर जी ने पुष्प प्रदान करके किया गया। 


कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए संस्थान के प्रबंधक जगदीश केशरी जी ने संस्थान तथा उसके  सभी पदाधिारियों व सदस्यों का परिचय दिया, संस्थान की उपाध्यक्ष श्रीमती अंशू मल्होत्रा जी व सदस्या विभा श्री गुप्ता जी ने मंच त संचालन बहुत सुंदर ढंग से किया,, वक्ताओं में सबसे पहले श्रीमति प्राची चौधरी जी ने सेमिनार में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मैं एक छोटे से जिले से ताल्लुक़ रखती हूं, और बचपन से आसमान में उड़ने के बारे में सोचती थी चूंकि मैंने हमेशा आगे बढ़ने का,कुछ कर दिखाने का, जीवन में सफल होने का सपना देखा,इसलिए अपने आपको शुरू से अनुशासित ढंग से तैयार किया,, 


जैसे जैसे मैं शिक्षित होती है वैसे वैसे ही मुझे ये समझ में आता गया कि लड़कियों के लिए जीवन के हर क्षेत्र में सफलता का एक ही मूल मंत्र है सर्वोत्तम ढंग से शिक्षित होना,, क्योंकि शिक्षा रूपी अस्त्र से  स्त्री पूरे संसार उद्धार कर सकती है और  युवतियों के लिए अन्य व्यवसायिक क्षेत्रों की तरह  नागरिक उड्डयन क्षेत्र में करियर के दृष्टिकोण से बहुत से सुअवसर हैं,, 


कई बार ऐसा होता है कि छोटे जनपदों में उच्च शिक्षा प्राप्त बालिकाओं को उचित सहयोग व सही मार्गदर्शन ना मिलने के कारण वो अपनी प्रतिभा ,योग्यता को बेहतर ढंग से नहीं प्रदर्शित कर पाती हैं,, शिक्षा के अभाव में रूढ़िवादिता और संकीर्णता के कारण बालिकाओं, स्त्रियों का पूरा जीवन अंधकारमय हो जाता है,,इसलिए आज इस सेमिनार के माध्यम से मै इस महाविदयालय की सभी छात्राओं का आवाह्न करती हूं कि आप सभी अपने जीवन के लिए जो भी सपने देख रही है उनको पूरा करने के लिए मर्यादित आचरण करते हुए अनुशासन ,संयम ,लगन, परिश्रम , के साथ  आगे बढ़ें, सफलता अवश्य आपके क़दम चूमेगी,,


अगली वक्ता के रूप में श्रीमति अमृता मिश्रा जी ने कहा कि  भारतीय संविधान ने सभी भारत के नागरिकों  को समान अधिकार दिए हैं,,संविधान में स्त्री या पुरुष के बारे में अलग अलग न कह कर  भारत सभी  के नागरिक  के बारे में समानता की बात कही है और भारतीय न्याय व्यवस्था में सभी के लिए न्याय के मानक और उसकी परिभाषा एक समान है।


 जहां तक स्त्रियों की बात है तो दुनिया की आधी आबादी के लिए आज जिस स्तर पर चिंतन और कार्य करने का प्रयास हो रहा है वो प्रशंसनीय है,, हमारे देश में जो स्वतंत्रता स्त्रियों को मिली है वो दुनिया के कई देशों  की तुलना में बहुत ही सराहनीय है।


 जबकि अभी भी हमारे देश में बालिकाओं और स्त्रियों को लेकर कहीं कहीं दोयम दर्जे की मानसिकता देखने को मिलती है,, मैं सभी छात्राओं को ये ही संदेश दूंगी कि आप पूरी निर्भयता के साथ आपने अपने को आगे बढ़ाएं और एक लक्ष्य बनाकर शिक्षा प्राप्त करें,,


स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ संगीता मेहता जी ने सेमिनार में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि आज चिकित्सा के साथ साथ बहुत से नए क्षेत्र खुल गए हैं जिनमें युवतियां अपना मुकाम हासिल कर रहीं हैं,,पहले लड़कियों के लिए बहुत ही सीमित साधन होते थे गिने चुने अवसर होते थे लेकिन टेक्नालॉजी के क्षेत्र में लगातार खोज और अनुसंधान होने से चिकित्सा विज्ञान में बहुत व्यापक अवसर उपलब्ध हो रहे, हैं,



भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की ज़िला महामंत्री डॉ ज्योति सिंह जी ने सेमिनार में सभी को संबोधित करते हुए कहा कि मैं मूल रूप से एक शिक्षा विद हूं, लेकिन मेरी रुचि सामाजिक ,सांस्कृतिक,साहित्यिक और राजनीतिक कार्यों में भी है इसीलिए मै ऐसे सभी आयोजनों में जाना पसंद करती हूं क्योंकि मुझे हमेशा ही कुछ नया अनुभव मिलता है,


मैंने महानगरों में रह कर जीवन को नजदीक से देखा है और बहराइच  जैसे  छोटे जिले में आज मेरा जीवन बीत रहा है तो मै ये बहुत विश्वास के साथ कहना चाहती हैं कि छोटे जिलों में भी महिलाओं के लिए बहुत सारे अवसर है केवल आपको सकारात्मक पहल करने की आवश्यकता है,,


नटराज म्यूजिक इंस्टीट्यूट की संस्थापक श्रीमति श्रध्दा पांडेय जी ने कहा कि मैं पीछे 18 साल से बहराइच में कथक नृत्य को स्थापित करने के लिए लगातार ट्रेनिंग प्रोग्राम कर रही हूं, मेरा निजी अनुभव है कि कला और संस्कृति के द्वारा भी समाज की सेवा की जा सकती है,समाज में सकारातमक वातावरण बनाने में साहित्य संगीत कला का अमूल्य योगदान है ।


यह एक ऐसी विद्या है जी जीवन को पूरी तरह से विनम्र और शुद्ध बना देती है,, मै चाहूंगी कि इस महावि्यालय की छात्राएं भी कला के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए आगे बढ़ें मेरा पूरा सहयोग और मार्गदर्शन शत प्रतिशत रहेगा,,

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