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तम्बाकू सेवन से विश्व स्तर पर हर साल 80 लाख से अधिक मौतें हो रही है : डा०विनोद त्रिपाठी



वेदव्यास त्रिपाठी 

प्रतापगढ़:बेलखरनाथ धाम प्रतापगढ़ राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यालय जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है! जिसमें दिव्य ज्योति सेवा निकेतन द्वारा उच्च प्राथमिक विद्यालय, कांपा मधुपुर ,बाबा बेलखरनाथ धाम में निबन्ध प्रतियोगिता आयोजित की गयी! कार्यक्रम की थीम "पर्यावरण की रक्षा" विषयक निबन्ध प्रतियोगिता में उप्रावि के छात्र छात्राओं -अन्नू दूबे, आकाश वर्मा एवं उत्तम मौर्य को प्रमाणपत्र देकर पुरस्कृत किया गया! अंत में सभी को तम्बाकू निषेध सम्बन्धी शपथ दिलाई गई।विचार गोष्ठी में शिक्षक संकुल डा०विनोद त्रिपाठी ने कहा कि पर्यावरण पर तंबाकू उद्योग का हानिकारक प्रभाव व्यापक रूप से बढ़ रहा है, जिससे हमारे ग्रह पर “दुर्लभ संसाधनों और नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र” पर पहले से ही उपस्थित दबाव में अनावश्यक वृद्धि हो रही है।" विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रत्येक वर्ष तंबाकू के उपयोग को रोकने के लिये सरकारों, संगठनों और व्यक्तियों द्वारा किये गए प्रयासों और योगदान के लिये उन्हें सम्मानित करता है। सोशल वर्कर नितिन तिवारी ने कहा कि "तंबाकू के सेवन से हर वर्ष  लाखों लोगों की मृत्यु हो जाती है। भारत में प्रत्येक वर्ष लगभग 35 मिलियन मौतें तंबाकू के सेवन की वजह से होती हैं और यह तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता एवं उत्पादक देश भी है।बच्चों को सोशल वर्कर राजीव सिंह ने बताया कि  विश्व स्तर पर प्रत्येक वर्ष लगभग 80 लाख लोगों की मृत्यु तंबाकू के सेवन से होती है, जिनमें 5 लाख भारतीय नागरिक शामिल हैं।शिक्षक  देवानन्द मिश्र ने कहा कि धूम्रपान  से कैंसर, हार्ट अटैक, पैरालाइसिस लकवा, क्रानिक आप्सटॖक्टिक पल्मोनरी डिजीज और वेस्कुलर डिजीज आदि से मौतों का कारण बनता है। एआरपी प्रभजीत कौर ने कहा कि विश्व में ध्रुमपान करने वाली महिलाओं की बढती संख्या चिंता का विषय है। महिलाओं को अतिरिक्त खतरों का सामना करना पड़ता है जैसे- प्रतिकूल गर्भावस्था के परिणाम, महिला विशिष्ट कैंसर जैसे- स्तन, गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर और हृदय संबंधी जोखिम में वृद्धि आदि। विचार गोष्ठी की अध्यक्षता उप्रावि प्रभारी प्रधानाध्यापक राजेन्द्र प्रताप सिंह एवं संचालन डा०विनोद त्रिपाठी ने किया इस मौके पर मोहम्मद शोएब, श्वेता मिश्रा, शशिबाला शुक्ला, विनीता मिश्रा, अर्चना यादव और संजीव दूबे ने विचार ब्यक्त किया।

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