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आर्थिक तंगी का शिकार नेपाल, श्रीलंका जैसे आर्थिक संकट के हालातों का सामना कर रहा



उमेश तिवारी

काठमांडू / नेपाल:नेपाल ने विदेशों में रह रहे नेपालियों से कहा है कि आर्थिक संकट से गुजर रहे अपने देश के बैंकों में वे डालर खाते खुलवाएं और निवेश करें। जानकारी देते चले कि, कोरोना के कारण नेपाल पर्यटन पर बुरा असर पड़ा है वही, विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट दर्ज की गई है।


भारत का एक और पड़ोसी देश नेपाल भी श्रीलंका जैसे आर्थिक संकट के हालातों का सामना कर रहा है। नेपाल के वित्त मंत्री जनार्दन शर्मा ने पिछले दिनों ही आगाह करते हुवे अपने नागरिकों से अपील किया था कि, विदेशों में रहने वाले नागरिक विदेशी पैसे के साथ नेपाल की मदद करें।


नेपाल सरकार ने विदेशों में रह रहे नेपालियों से कहा है कि आर्थिक संकट से गुजर रहे अपने देश के बैंकों में वे dolar account (विदेशी मुद्रा खाते) खुलवाएं और निवेश करें। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण पर्यटन घटने से नेपाल के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई है।


प्रवासी नेपाली संघ (एनआरएनए) द्वारा आयोजित एक डिजिटल कार्यक्रम में नेपाल के वित्त मंत्री जनार्दन शर्मा ने कहा कि प्रवासी नेपालियों द्वारा नेपाल के बैंकों में डॉलर खाते खोलने से देश को विदेशी मुद्रा की कमी के संकट से उबरने में मदद मिलेगी।


"दो दिवसीय छुट्टी पर जा सकता है पड़ोसी देश नेपाल"



नेपाल सरकार ईंधन की खपत को कम करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के कार्यालयों में दो दिन की छुट्टी घोषित करने पर मंथन कर रही है। नेपाल विदेशी मुद्रा संकट और पेट्रोलियम उत्पादों की आसमान छूती कीमतों से जूझ रहा है। कैबिनेट सूत्रों ने बताया कि सेंट्रल बैंक ऑफ नेपाल और नेपाल आयल कारपोरेशन ने सरकार को दो दिन का सरकारी अवकाश देने की सलाह दी है।


कई महीने से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध के परिणामस्वरूप वैश्विक तेल की कीमतों में भारी वृद्धि हुई है क्योंकि रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाया गया है। अन्य प्रमुख तेल उत्पादक ईरान और वेनेजुएला को भी पेट्रोलियम बेचने पर प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है।


कोविड-19 महामारी के कारण अंतर्राष्ट्रीय यात्रा पूरी तरह प्रभावित होने के बाद पर्यटन पर निर्भर नेपाल अपने विदेशी भंडार में गिरावट का सामना कर रहा है। अधिकारियों ने कहा कि सरकार इस सलाह में नेपाल ऑयल कॉरपोरेशन के लिए महत्वपूर्ण बचत देखती है जो सब्सिडी दरों पर ईंधन बेच रही है और वर्तमान वैश्विक दरों पर भारी नुकसान उठा रही है।


सरकारी प्रवक्ता ज्ञानेंद्र बहादुर कार्की ने मीडिया को बताया कि सरकार ने अभी तक इस संबंध में कोई फैसला नहीं लिया है। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव आया है लेकिन इस पर विचार किया जा रहा है।

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