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गोंडा डीएम ने प्रधान, ग्राम विकास अधिकारी सहित तीन के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया,बीडीओ के खिलाफ कार्रवाई



उत्तर प्रदेश के गोंडा में ग्राम पंचायत अधिकारी और ग्राम प्रधान के मिली भगत से सरकारी खजाने को अनियमितता पूर्वक खर्च दिखाकर बंदर बांट किया जा रहा था। मामले में शिकायत मिली तो जिलाधिकारी ने गंभीरता से लेते हुए जांच करने का आदेश से दिया। जिससे सरकारी धन के दुरुपयोग की पोल खुल गई। मामले में जिलाधिकारी ने ग्राम विकास अधिकारी और ग्राम प्रधान सहित तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश जारी कर दिया है।

 प्राप्त जानकारी के मुताबिक डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट नेहा शर्मा ने बेलसर विकासखंड क्षेत्र के पकवान गांव और ताराडीह ग्राम पंचायत के अस्थायी गो आश्रय केन्द्र में व्याप्त अव्यवस्थाओं पर नाराजगी जताते हुए विकासखंड अधिकारी को प्रतिकूल प्रविष्टि जारी करने का निर्देश दिया है, वही ग्राम विकास अधिकारी, ग्राम प्रधान और गौ आश्रय केंद्र केयर टेकर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। मामले की जानकारी होते ही ब्लॉक में हड़कंप मच गया है।

सभी गौ आश्रय स्थलों की होगी जांच: बेलसर के गौ आश्रय स्थलों का मामला उजागर होने पर जिलाधिकारी ने गंभीरता से लेते हुए जिले के सभी गो आश्रय स्थलों का निरीक्षण करने के लिए टीम गठित करने का निर्देश दिया है। डीएम ने गठित टीम से स्थलीय निरीक्षण का रिपोर्ट मांगा है।

अनियमितताओं का लगा अंबार: बेलसर के पकवान गांव और ताराडीह गांव के गौ आश्रय स्थलों का मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी की टीम ने निरीक्षण किया था, जिसमें कमियों का अंबार लगा हुआ था। गौ आश्रय स्थलों में गौ वंशों को ठंड से बचाने के लिए कोई प्रबंध नहीं मिला। मौके पर हरा चारा और भूसा भी गौ वंशों के सापेक्ष बहुत ही कम पाया गया। पकवान गांव में पशुओं को पानी पीने के लिए टैंक तक उपलब्ध नहीं मिला। पशुओं को तालाब से दूषित पानी पिलाया जा रहा था। 

वित्तीय आडिट: मामले में सख्त रुख अख्तियार करते हुए डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने जिले के सभी गांव आश्रय स्थलों का निरीक्षण करते हुए विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया है। डीएम ने जनपद के समस्त गौ आश्रय स्थलों के वित्तीय गतिविधियों का आंतरिक ऑडिट करने का आदेश दिया है। 

बोली डीएम: मामले में जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने कहा कि लापरवाही करने वाले किसी भी अधिकारी व कर्मचारियों को नहीं बख्शा जायेगा। उन्होंने कहा कि गौ वंशों के बेहतर प्रबंधन के लिए लापरवाही रोकना नितांत आवश्यक है। वित्तीय ऑडिट होने से गौ आश्रय स्थलों के संचालन में पारदर्शिता आएगी।



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