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प्रवासी टीबी रोगियों को जिले से ही मिल रही है दवा सुविधा


■ सामुदायिक या प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र व डाट्स सेंटर पर सम्‍पर्क करें
■ अब तक 18 प्रवासी क्षय रोगियों को दी जा रही हैं निरन्‍तर दवाएं

आलोक बर्नवाल
संतकबीरनगर। यदि आप या आपके किसी मरीज को क्षय रोग है। तो परेशान मत होइए। जिला क्षय रोग विभाग क्षय रोगियों को निरन्‍तर दवाएं वितरित कर रहा है। इसमें उन मरीजों को भी यह सुविधा दी जा रही हैं। जो अन्य जिले के हैं और लाकडाउन के कारण संतकबीरनगर जिले में रूके हुये हैं।

राष्‍ट्रीय क्षय रोग उन्‍मूलन अभियान के जिला समन्‍वयक अमित आनन्‍द  ने बताया कि जिले के अतिरिक्‍त अन्‍य स्‍थानों का कोई भी रोगी जिले में फंसा है और उसकी टीबी की दवा चल रही है तो उसको जिले से ही दवा मिल जाएगी। साथ ही बाहर से आने वाले क्षय रोगी जो वर्तमान में जिले में आए हैं उन्‍हें भी दवा जिले से ही दी जाएगी। इसके लिए सिर्फ स्‍थानीय सामुदायिक या प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र तथा डाट्स सेण्‍टर पर सम्‍पर्क करना पड़ेगा। अगर वहां से उनको कोई परेशानी हो रही है तो सीधे क्षय रोग विभाग के जिला कार्यक्रम समन्‍वयक अमित आनन्‍द से उनके मोबाइल नं 9848477865 पर सम्‍पर्क कर सकते हैं।

जिला समन्‍वयक ने बताया कि कोरोना के लॉकडाउन के दौरान टीबी की दवाओं के परिवहन में शुरुआती दौर में परेशानी आई। इसके बाद  राज्य सरकार के द्वारा जारी किए गए गाइड लाइन के अनुसार कार्य किया गया और दवाओं के परिवहन व भण्‍डारण की व्‍यवस्‍था कराई गई। जिले में लॉकडाउन के चलते बाहर के 18 वह लोग फंसे हुए थे जिनकी क्षय रोग की दवा चल रही है।  इनमें 2 महिलाओं व 3 अस्‍वस्‍थ व्‍यक्तियों को आशा कार्यकर्ता के जरिए दवा भेजवाई गई। वहीं 13 अन्‍य लोगों को दूसरे जनपद से जारी कार्ड पर अंकित रजिस्‍ट्रेशन नम्‍बर के आधार पर यहीं से फीडिंग करके दवाएं दी गईं। जिला समन्वयक बताते हैं कि कोरोना में इम्‍यूनिटी एक महत्‍वपूर्ण कारक है। ऐसे में अगर क्षय रोगियों को समय से दवा नहीं मिलती तो उनकी इम्‍यूनिटी कमजोर हो सकती थी। आने वाले समय में चुनौती बाहर से आने वाले प्रवासियों में क्षय रोग के मरीजों को खोजना है। इसके लिए आवश्‍यक प्रबन्‍ध किए जा रहे हैं।

635 लोग ले रहे टीबी की दवा
जिला समन्‍वयक का कहना है कि वर्तमान समय में 635 लोग जिले में टीबी की दवा ले रहे हैं। इनमें से जो लोग डाट्स सेण्‍टर पर आने में असमर्थ हैं उनको आशा कार्यकर्ता के जरिए दवा भेजी गई। साथ ही पुलिस विभाग से भी यह सिफारिश की गई थी कि जिसके पास टीबी की दवाओं का कार्ड हो, उसको आने दें। पुलिस ने भी किसी क्षय रो‍गी को परेशान नहीं किया। वर्तमान में हम प्रवासियों में से क्षय रोगियों को पहचानकर उन्‍हें भी दवा देने की योजना पर काम करेंगे।

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