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Pratapgarh:अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर आयोजित हुआ संवाद और योग कार्यक्रम

 
आत्मा को परमात्मा के साथ विलीन करना ही योग है :- आचार्य संजीवानन्द 

शिवेश शुक्ला 
प्रतापगढ। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कुटुंब प्रबोधन विभाग द्वारा परिवारों में योग के आधारभूत सिद्धांत अष्टांग योग के दो प्रमुख बिंदुओं यम और नियम पर संवाद और योग कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।
जिला कुटुंब प्रबोधन प्रमुख प्रभाशंकर पांडेय ने बताया कि पूरे जिले में परिवारों में लोगों ने एक साथ बैठकर योग के  सैद्धांतिक बिंदुओं की चर्चा की और यह स्पष्ट किया की यम और नियम के पालन से  जीवन में आध्यात्मिक और आत्मिक शक्ति का विकास होता है ।
यम के द्वारा पांच प्रकार की सामाजिक नैतिकता  अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, और अपरिग्रह तथा नियम के द्वारा पांच व्यक्तिगत नैतिकता,शौच, संतोष,तप, स्वाध्याय तथा ईश्वर प्राणिधान का पालन किया जाता है।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला  कार्यवाह डॉक्टर सौरभ पांडेय ने बताया कि  जिले में 2678 परिवारों में "यम -नियम संवाद" तथा योग का कार्यक्रम आयोजित हुआ।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके विचार परिवार के कार्यकर्ताओं ने यह अभिनव प्रयोग करके समाज को एक दिशा देने का कार्य किया है । योग के  इस महाअभियान में रमेश चंद्र त्रिपाठी, चिंतामणि द्विवेदी, हरीश कुमार, नितिन कुमार, मुरलीधर केसरवानी, नितेश खंडेलवाल, जयशंकर सोनी, अंकुर श्रीवास्तव, डॉक्टर अखिलेश पांडेय, रघुवीर प्रसाद उपाध्याय, जय शंकर सोनी, दिनेश अग्रहरि, हरिओम मिश्र ,डॉ बृजभानु सिंह, हेमंत मिश्र, डॉक्टर अजीत सिंह,राज नारायण सिंह, राजेश मिश्र , पंकज तिवारी, प्रभात मिश्र सहित समाज के अनेक बंधुओं ने सहभागिता की। इसीक्रम में विश्व योग दिवस पर आनन्द मार्ग स्कूल आनंद त्रिवेणी मास्टर यूनिट पंडित पूर्वा सीध टीकट खेरहट खुर्द प्रयागराज के प्रांगण में विद्यार्थियों एवं युवकों को योगासन,मुद्रा कौशिकी ,तांडव के साथ योग ध्यान,शौच विधि की जानकारी डायोसिस सचिव आचार्य संजीवानन्द अवधूत ने दी।योग का अर्थ सिर्फ़ आसान मुद्रा अथवा प्राणायाम ,व्यायाम आदि नही है। ये सभी शरीर को स्वस्थ रखने की मात्र विधि है।वास्तविक रूप में यदि कहा जय योग का अर्थ आत्मा को परमात्मा के साथ विलीन करना ही योग है।विलीन का अर्थ एकीकरण करना है। जैसे चीनी और पानी का घोल अर्थात एक दूसरे में अपनी अस्तित्व को खो देने का नाम ही योग है।इसलिए यह अष्टआँग योग के नाम से जाना जाता है।यम,नियम आसान,प्राणायाम,प्रत्याहार,धारणा, ध्यान एव समाधि आदि आठ अंग है।आचार्य जी ने कहा यह योग सिर्फ योग दिवस के दिन ही मात्र करने से नही होगा इसे नियमित अभ्यास करने की आवश्यकता है तभी इसका लाभ संभव है ।आनंद मार्ग के आचार्य सभी को निःशुल्क आसन योगध्यान सिखाने के लिए उपलब्ध हैं।शरीर के साथ मन और आत्मिक शुद्धि के लिए शुद्ध सात्विक भोजन खाना अति आवश्यक है। अंत में सभी के प्रति आचार्य ने धन्यवाद दिया।सभी ने नियमित अभ्यास करने का एवं कोरोना को हराने के लिये संकल्प लिया।इस अवसर पर रीजन सेक्रेटरी आचार्य,डा धरमपाल , शुभगतानंद अवधूत ने शुभकामनाएं दी।
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