कोविद से प्रभावित या अनाथ बच्चों की सूचना चाइल्डलाइन-1098 पर दें-जिला प्रोबेशन अधिकारी
प्रतापगढ़! कोरोना की इस दूसरी लहर ने एक तरफ जहाँ बहुत से परिवारों से उनकी खुशियाँ हमेशा-हमेशा के लिए छीन ली हैं वहीं जिन परिवार में कल तक किलकारियां गूंजा करतीं थीं, आज उसी घर में बच्चे गुमशुम नजर आ रहे हैं । ऐसे ही बच्चों के जीवन में फिर से खुशियाँ लाने के लिए उ० प्र० सरकार के साथ मिलकर जिले की चाइल्डलाइन-1098 हरसंभव कोशिश कर रही है ।
एक संयुक्त विज्ञप्ति में उक्त जानकारी देते हुए जिला प्रोबेशन अधिकारी रन बहादुर वर्मा व चाइल्ड लाइन निदेशक नसीम अंसारी ने बताया हैं कि प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग वी. हेकाली झिमोमी के निर्देशानुसार कोरोना के चलते जिन बच्चों ने अपने माता-पिता को खोया है या उनके माता-पिता कोरोना प्रभावित अस्पताल में भर्ती हैं अथवा होम आइसोलेशन में हैं और बच्चे की देखभाल करने वाला परिवार में कोई नहीं है तो टीम द्वारा ऐसे बच्चों और परिवार की पहचान कर उन्हें हरसंभव मदद पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है । चाइल्ड लाइन निदेशक श्री अंसारी ने जनमानस से अपील की है कि यदि उनके सज्ञान में कोविद प्रभावित या अनाथ बच्चे आते हैं तो ऐसे बिपदाग्रस्त बच्चों के बारे में सूचना दिन-रात कभी भी चाइल्ड लाइन के टोल फ्री नंबर 1098 या महिला सहायता के 181 पर अथवा राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के हेल्पलाइन- 011-23478250 पर सूचना दें ताकि उस बच्चे को शीघ्र मदद पहुंचाई जा सके.
बाल संरक्षण अधिकारी अभय कुमार शुक्ला के अनुसार कि इस सूची को तैयार करने में ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में गठित निगरानी समितियों की मदद ली जा रही है । इसके अलावा ग्राम प्रधानों की अध्यक्षता में गठित ग्राम बाल संरक्षण समितियों से भी इस सम्बन्ध में जानकारी जुटायी जा रही है, जिसकी सदस्य सचिव आंगनबाड़ी कार्यकत्री होतीं हैं, ताकि 18 वर्ष तक की उम्र तक का कोई जरूरतमंद बच्चा छूटने न पाए। इसके साथ ही विशेष किशोर पुलिस इकाई, चाइल्डलाइन-1098 और जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा सक्रिय भूमिका निभाते हुए इस प्रकार के बच्चों के बारे में सूचनाएँ प्राप्त होने पर जिला प्रोबेशन अधिकारी या बाल कल्याण समिति को तत्काल सूचित करेंगें और ऐसे बच्चों को 24 घंटे के अन्दर बाल कल्याण समिति के समक्ष डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से प्रस्तुत कर हरसंभव मदद व संरक्षण दिया जायेगा. इसके अलावा उस बच्चे को आवश्यकतानुसार मानसिक स्वास्थ्य व मनो सामाजिक परामर्श भी दिया जायेगा.
चाइल्डलाइन समन्वयक शुभा पाण्डेय के अनुसार यदि किसी नवजात को सड़क या किसी अन्य स्थान पर छोड़ या परित्याग कर दिया जाता है अथवा कोविड के चलते माता-पिता की मृत्यु के बाद ऐसे बच्चों को किसी को भी गोद दे देना, अपने पास रख लेना या उसकी देखरेख के लिए किसी तरह का विज्ञापन निकालना गैरकानूनी व दंडनीय अपराध है । अनाथ या एकल माता/पिता होने की वजह से बाल विवाह, बाल श्रम या बाल तस्करी करवाना भी गैर कानूनी और दंडनीय है । इसकी सूचना चाइल्डलाइन-1098 को अवश्य दें.
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