आर के गिरी
गोण्डा: शहर से सटी ग्राम पंचायत गिर्द गोंडा के तालाब की भूमि पर दो मंजिला स्कूल बना डाला गया है। स्कूल के लिए सार्वजनिक तालाब की भूमि को हथियाने के कई हथकंडे अपनाए गए।तहसील के अधिकारियों से मिली भगत करके पहले तालाब के एक खंड का परिवर्तन करा लिया।
इसके बाद जिसके नाम से भूमि का परिवर्तन कराया, उससे उसी भूमि का बैनामा ले लिया। तालाब की परिवर्तित भूमि का बैनामा लेने के बाद अवशेष तालाब की भूमि को भी कब्जे में ले लिया और दो मंजिला स्कूल का निर्माण करा लिया।
अब इस मामले का खुलासा हुआ है और तहसीलदार ने तालाब की भूमि से स्कूल को हटाने का आदेश दिया है। इसके साथ ही स्कूल प्रबंधन पर दो लाख 86 हजार का जुर्माना भी लगाया है।
मामले में आदेश के बाद भी कार्रवाई न होने पर एसडीएम सदर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट सूरज पटेल जांच कर रहे हैं।गिर्द गोंडा पंचायत ऐसी है जो शहर में ही शामिल जैसी है। ऐसे में यह पता करना आसान नहीं है कि यह गांव है कि शहर है। गिर्द गोंडा में गाटा संख्या 281 में 0.227 हेक्टेयर भूमि तालाब था।जिसके एक अंश यानी 0.177 हेक्टेयर तालाब की भूमि का परिवर्तन दीनानाथ पुत्र मंगली ने धारा 61 के तहत इस आधार पर कराया कि इतने ही अंश का तालाब बनाकर वह दे देंगे।
भूमि परिवर्तन होने के बाद आबादी घोषित कराया गया और फिर मतलूब हुसैन ने भूमि का बैनामा ले लिया।उन्होंने बैनामा के बाद भूमि पर एम्स इंटर नेशनल कालेज का निर्माण करा लिया। स्कूल निर्माण के बाद उन्होंने अवशेष तालाब की भूमि 0.110 हेक्टेयर को भी बाउंड्रीवाल से घेर कर अंदर कर लिया और वहां पर भी दो मंजिला स्कूल भवन का निर्माण करा लिया।
इस तरह सरकारी तालाब की भूमि पर ही स्कूल खड़ा कर लिया। इस अतिक्रमण की जानकारी राजस्व निरीक्षक ने 19 फरवरी 2008 को रिपोर्ट भेजकर दी। इसी आधार पर मामला तहसीलदार के न्यायालय पर शुरू हुआ। करीब 13 साल बाद मामले में तहसीलदार ने 24 सितंबर 2021 को तालाब की भूमि पर कब्जा हटाने के साथ ही जुर्माने का आदेश दिया।
इस मामले में कार्रवाई न होने पर चौरी हरसोपट्टी के राम शरन शुक्ल ने शासन में शिकायत की। शासन ने मामले में जांच के आदेश दिये और अब एसडीएम सदर मामले की जांच कर रहे हैं।
इसमें निर्माण हटाने की कार्रवाई के साथ ही जिम्मेदार अधिकारी व राजस्व कर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई की तैयारी हो रही है।
तालाब की भूमि पर अवैध कब्जा करके स्कूल निर्माण कराने के मामले में राजस्व अधिकारियों और कर्मचारियों की ओर से झूठी सूचना भी दी गई। जांच शुरू होने पर एसडीएम की ओर से जानकारी मांगे जाने पर गुमराह करने का प्रयास हुआ।
लेखपाल व राजस्व निरीक्षक ने रिपोर्ट दिया कि मामला तहसीलदार के न्यायालय में विचाराधीन है और तहसीलदार ने भी यह रिपोर्ट एसडीएम को भेज दी, जबकि मामले में 24 सितंबर 2021 को ही आदेश हो चुका था।
पत्रावली का परीक्षण करने पर मामला सामने आया कि रिपोर्ट सूचना दी गई है। इस पर एसडीएम ने तहसीलदार समेत अन्य कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगा है।
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