शाम हो रही थी सभी की निगाहें बड़ी बेसब्री से अपने आराध्य और ईश्वर के साक्षात्कार दर्शन का लाभ लेने के लिए व्यास मंच की तरफ तक गड़ी हुई थी। सब के दिलों में भगवान श्री कृष्ण के विवाह उत्सव की सजीव झांकी देखने के लिए मन में भक्ति और उत्साह का उमंग उमड़ता दिख रहा था। विवाह प्रसंग पर यहां सुंदर झांकी सजाई गई। यहा व्यासपीठ से कथा कर रहे स्वामी श्री निवासाचार्य जी महाराज भक्तों को भक्ति सागर में कथा के माध्यम से सराबोर कर रहे थे। बुधवार को गणेशपुर में कथा के छठे दिन उन्होंने भगवान के मथुरा प्रवास, कंस वध, गोपियों और उद्धव प्रसंग तथा रुक्मिणी हरण की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि वृंदावन का त्याग कर भगवान मथुरा की ओर प्रस्थान करते हैं और वहां कंस के अत्याचारों से लोगों को मुक्त कराते हैं।विवाह का दिन लोगो के लिए खास था लोग पुष्प वर्षा करने को बेताब थे। मौका था श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में श्रीकृष्ण रुक्मणी विवाह का। जैसे ही मंच पर श्रीकृष्ण व रुक्मणी का प्रार्दूभाव हुआ। श्रीहरि के जयघोष से पूरा इलाका गूंज उठा। पूज्यनीयो द्वारा उद्घोषित मंत्रोचार के बीच जैसे ही विवाह का कार्य संपन्न हुआ। भीड़ पुष्प वर्षा कर अपनी निष्काम भक्ति को प्रदर्शित किया। उपस्थित सारा जनमानस भाव विह्वल होकर झूम उठा। इससे पूर्व कथा वाचक स्वामी जी ने कहा कि प्रभु की कृपा के लिए भक्ति की आवश्यकता है। परन्तु भक्ति निष्काम होनी चाहिए। सकाम भक्ति फलदायक नहीं होती। उन्होंने कहा कि विप्र सुदामा की भक्ति निष्काम थी। श्रीहरि ने उनसे मनोवांछित वर मांगने को कहा था। उन्होंने कहा कि आचरण की शुद्धता सबसे बडी़ पूंजी है। इसके बल पर हम शीर्षस्थ ऊंचाइयों को प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए हम सबको आचरण की शुद्धता पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। आर्गन पर पंकज व्यास तबले पर पिंटू व अन्य वाद्य यंत्र पर लोगों ने कृष्ण विवाह में शामिल हुए लोगों को अपनी धुन पर खूब नचाया। इस अवसर पर रूपक उपाध्याय, दीपक उपाध्याय, अश्वनी कुमार उपाध्याय सहित सैकड़ों की संख्या में श्रोता व श्रद्धालु गण मौजूद रहे।
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