एसके शुक्ला
प्रतापगढ। पूर्व प्राथमिक शिक्षा वह चरण है,जहां भविष्य में बच्चों के सीखने की नींव रखी जाती है। नेशनल अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन करिकुलम फ्रेमवर्क 2014 का भी कहना है कि तैयारी की अवधारणा बच्चों की तैयारी से कहीं अधिक विस्तृत है।
यह विचार विकास खण्ड बाबा बेलखरनाथ धाम की बीईओ श्रीमती भारती त्रिपाठी ने बीआरसी शीतलागंज पर आयोजित शिक्षक - आंगनबाड़ी संबंधी ई.सीसी कार्यशाला में व्यक्त किया।
इस मौके पर आरपी डॉ० विनोद त्रिपाठी ने कहा कि प्री- प्राइमरी , बच्चों की औपचारिक एवं व्यवस्थित शिक्षा का प्रथम चरण है । बच्चों को विद्यालय वातावरण में सीखने के लिए आने तथा व्यवस्थित होने में सहज करने की भूमिका होगी।
गोविंद नाथ यादव ने कहा की बच्चों का नामांकन और उनकी शिक्षा में निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए अभिभावकों एवं परिवार वालों को भी सजग होना होगा। अनिल यादव ने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 में प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा पर विशेष जोर दिया है ।
इसने बाल्यावस्था के आरंभिक वर्षों 3 से लेकर 6 वर्ष आयु तक के बच्चों को शामिल किया गया है। संदर्भ दाता फरहान अहमद ने कहा विद्यालय तैयारी के तीनों आयामों बच्चों की तैयारी स्कूल की तैयारी और परिवार की तैयारी के लिए और आंगनबाड़ी एवं शिक्षकों के बीच समन्वय स्थापित समन्वय स्थापित करने के लिए इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है।
कार्यशाला की अध्यक्षता ब्लॉक उपाध्यक्ष अरुण सिंह एवं संचालन डॉ० विनोद त्रिपाठी ने किया ।इस मौके पर मंत्री अजीत कुमार, कोषाध्यक्ष राम राजपाल, विमल सिंह, अंबिकेश पांडेय, अतुल पांडेय, डॉ० प्रीति मिश्रा, प्रियंका पांडेय,आभा खंडेलवाल ,गीता सिंह, नरेंद्र त्रिपाठी चंद्रजीत यादव , देवदास यादव, अभिषेक श्रीवास्तव, रामसेवक पुष्प जीवी और राशिद अहमद आदि ने विचार व्यक्त किया।
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