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गांव में है आपका मकान लेकिन नही है कोई कागजात, तो बहुत जल्द मिल सकता है स्वामित्व

आरके गिरी

गोण्डा: केंद्र सरकार की स्वामित्व योजना के तहत घरौनियों के सर्वे का कार्य अतिशीघ्र पूर्ण कराने के निर्देश दिए गए हैं। 


सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो बहुत ही जल्द लोगों को गांव में बने अपने मकान के दस्तावेज मिल जाएंगे। जिससे गांव में चल रहे मकान के विवादों में जहां कमी आएगी। 


वही लोगों को अपने मकान पर बैंकों से लोन लेने में भी आसानी होगी।


जिलाधिकारी ने सभी एसडीएम को सख्त निर्देश दिए हैं कि भारत सरकार की अत्यंत महत्वाकांक्षी स्वामित्व योजना के तहत घरौनियों के सर्वे का कार्य दो दिन के अन्दर पूर्ण कराकर भारतीय सर्वेक्षण विभाग को तत्काल भेजवाने के निर्देश दिए हैं। 


मंगलवार को एनआईसी के माध्यम से अध्यक्ष राजस्व परिषद द्वारा स्वामित्व योजना की समीक्षा में दिए गए निर्देश के क्रम मेे जिलाधिकारी ने सभी एसडीएम को निर्देश दिए हैं कि प्रत्येक दशा में यह सुनिश्चित किया जाय कि लेखपाल स्वयं अपने आवंटित गांवों में जाकर भौतिक सत्यापन करते हुए सर्वे की रिपोर्ट तैयार करें। 


उन्होंने यह भी निर्देश दिए हैं कि यदि किसी भी लेखपाल द्वारा मौके पर गए बिना सर्वे रिपोर्ट तैयार कर सबमिट की जाएगी और बाद में किसी भी प्रकार का विवाद उत्पन्न होता है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी संबंधित लेखपाल की होगी। उसके विरुद्ध निलंबन के साथ ही विभागीय कार्यवाही भी की जाएगी।


बताते चलें कि स्वामित्व योजना के तहत घरौनियों के वितरण को लेकर शासन द्वारा बहुत तेजी से कार्य किया जा रहा है। 


मंगलवार को राजस्व परिषद के अध्यक्ष मुकुल सिंघल द्वारा वीसी के माध्यम से स्वामित्व योजना के तहत सर्वे, फीडिंग तथा भारतीय सर्वेक्षण विभाग को रिपोर्ट भेजने की समीक्षा की गई। 


वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बाद डीएम ने स्वामित्व योजना के नोडल अधिकारी मुख्य राजस्व अधिकारी को निर्देश दिए कि वे प्रतिदिन इसकी समीक्षा करें तथा प्रगति से उन्हें अवगत कराएं। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस कार्य में किसी भी स्तर लापरवाही बरतने वाले अधिकारी कर्मचारी को दण्डित किया जाएगा।

क्या है स्वामित्व योजना जाने इसके लाभ?


गांव में अभी तक बने मकान के दस्तावेज नहीं होते थे। जिससे आए दिन गांव में मकान के बंटवारे को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ करते थे। 


यहां तक कि गांव में बने मकानों के कागजात ना होने के कारण बैंक लोन भी नहीं देते थे। जबकि शहरी क्षेत्रों में मकानों के दस्तावेज होने के कारण उन्हें हाउसिंग लोन जैसी सुविधाओं का लाभ मिलता था। 


सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो बहुत ही जल्द गांव में बने मकानों के दस्तावेज लोगों को मिल जाएंगे जिससे वह शहरों की तर्ज पर हाउसिंग लोन जैसी सुविधा बैंकों के माध्यम से ले ले सकेंगे।




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