राम मंदिर के लिए ट्रस्ट तैयार करवा रहा रामायण से जुड़ी मूर्तियां
मूर्तियो में भगवान राम के जीवन से जुड़े सभी स्वरूप को दर्शाया जाएगा
अजय मौर्या
अयोध्या। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर से करीब 5 किमी दूर रामसेवकपुरम में रामायण के दृश्यों से जुड़ी मूर्तियां बनाई जा रही हैं।
ये मूर्तियां राम मंदिर के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट तैयार करवा रहा है। इन्हें मूर्तिकार नारायण मंडल व उनके पुत्र रंजीत मंडल बना रहे हैं। मूर्तिकार नारायण मंडल बताते हैं की ‘‘विहिप के नेताओं ने 9 साल पहले मुझसे कहा था कि राम मंदिर परिसर के लिए भगवान राम के जीवन से जुड़े दृश्यों की मूर्तियां चाहते हैं।
इसके बाद रिसर्च करने के लिए मैं और मेरा बेटा रंजीत रामचरितमानस, रामायण और तस्वीरों वाली धार्मिक किताबों का अध्ययन किया।’’
मूर्तियों में जीवंतता लाने के लिए नारायण मंडल ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु़ में भगवान राम से जुड़े हुए धार्मिक स्थलों की यात्रा की।
इन स्थलों पर काफी वक्त गुजारा। फिर वापस अयोध्या आकर मूर्तियां बनाना शुरू किया।
नारायण मंडल बताते हैं कि मूर्तियों के माध्यम से रामायण का कोई एक दृश्य बनाया जाता है। ऐसे में इन्हें बनाने में वक्त लगता है। अब तक करीब 60 मूर्तियां बन चुकी हैं।
अभी और मूर्तियों को बनाया जाएगा। इनका साइज 4 से 5 फीट के बीच है। मूर्तियों में बंगाल के पहनावे की झलक दिखेगी, जबकि फेस कटिंग उत्तर भारत के लोगों जैसी होगी।
नारायण बताते हैं कि इससे देशभर से आए लोग मूर्तियों के साथ जुड़ाव महसूस करेंगे। काम पूरा होने में थोड़ा वक्त और लग सकता है।
अयोध्या में विहिप के प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा कि राम के जन्म से लेकर लंका विजय और फिर अयोध्या वापसी तक के स्वरूपों को मूर्तियों के माध्यम से उकेरा जा रहा है।
करीब 120 मूतियां बनाई जाएंगी। इन्हें एक तरह से प्रदर्शनी की तरह रखा जाएगा। गौरतलब हो कि असम से रहने वाले रंजीत ने फाइन आर्ट्स में एमए किया है।
1997 में रंजीत की मुलाकात विहिप के तत्कालीन अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल से असम में हुई थी।
रंजीत बताते हैं कि सिलचर में उन्होंने व्यास जी की मूर्ति बनाई थी। इसे देखकर सिंघल काफी प्रभावित हुए। इसके बाद रंजीत को दिल्ली बुलाया। 1998 में रंजीत दिल्ली आए।
यहां सिंघल ने उन्हें अयोध्या में रामकथा कुंज के लिए मूर्तियां बनाने की बात कही। रंजीत के मुताबिक, विहिप से जुड़ने के बाद उसके कई मंदिरों और कार्यालयों के लिए मूर्ति बनाई।
दिल्ली में आरके पुरम में विहिप कार्यालय में लगी हनुमानजी की मूर्ति भी उन्होंने ही बनाई है।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ