पल्लवी त्रिपाठी
महराजगंज:पूरा जिला बाढ़ की चपेट में है। रोहिन, चंदन, राप्ती, घोंघी, प्यास, झरही नदियां तबाही मचा रही हैं। बांध और तटबंध एक-एक कर ध्वस्त हो रहे हैं। जिले का अधिकतर हिस्सा पानी में डूबा है। इससे इतर प्रशासनिक पहल और बाढ़ से पूर्व बचाव कार्य पर नजर डालें तो घटनाक्रम कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं।
हालात बता रहे हैं कि महराजगंज डूबा नहीं बल्कि इसे डुबोया गया है! जिम्मेदार भले ही इसके लिए बढ़े जलस्तर को जिम्मेदार मानें लेकिन बाढ़ प्रभावित लोग इसे तैयारी में चूक मान रहे हैं। चेहरी, धानी, पनियरा में रैट होल से रिसाव शुरू हुआ। प्रशासन को जानकारी दी गई। समय रहते कोई नहीं पहुंचा। ग्रामीण खुद ही मशक्कत करते रहे और फिर हालात बेकाबू हो गए। रोहिन ने पहले पनियरा फिर चेहरी और फिर राप्ती ने धानी क्षेत्र में तबाही मचाई। इसी के साथ एक-एक कर प्रशासनिक तैयारी का झूठ भी सामने आने लगा।
आफत आई तो जिम्मेदार कोरमपूर्ति में जुटे। बाढ़ के चार दिन बाद अधिकारियों की छुट्टी निरस्त की और प्रभावित क्षेत्रों में उनकी ड्यूटी लगाई। लेकिन अब भी कोई मौके पर नहीं मिल रहा। तबाही के चार दिन बाद प्रभावित तहसीलों को राहत के लिए पैसे दिए। अभी बाढ़ से जिले के करीब 100 गांव घिरे हैं। ग्रामीण जिंदगी के लिए जद्दोजद कर रहे हैं। पर मदद की आस में मुश्किल बढ़ती जा रही है। खाना-पानी के लिए लोग तरस रहे हैं। ऐसे विकट हालात में जब प्रशासन ने सिवा स्टीमर और नाव के हाथ नहीं बढ़ाया तो आम लोग मदद को आगे आए। अभी पनियरा, मझार और चेहरी क्षेत्र के साथ ही धानी का बुरा हाल है।
मनमानी का यह तो बस नमूना है...
शासन ने सभी बंधों का हाल मांगा। चारों तहसीलों ने कोरमपूर्ति कर गुमराह किया ।
प्रमुख सचिव ने बाढ़ बचाव और राहत के लिए दो बार वीसी की। दोनों ही बार बाढ़ बचाव तैयारी की झूठी रिपोर्ट उन्हें भी पढ़कर सुना दी गई।
जिम्मेदारों ने बताया रैट होल, रेन कट को कर लिया गया दुरुस्त। लेकिन कहीं कुछ भी नहीं हुआ। चेहरी, पनियरा, धानी और ठूठीबारी क्षेत्र झूठ को सामने रख रहे हैं।
मुख्यमंत्री की वीसी में भी जिम्मेदारों ने कर दिया कोरम पूरा।
आंकड़ों से कागज का पेट भरा, हकीकत में कुछ भी नहीं।
तो होते-होते बच गया चारा घोटाला
बाढ़ में पशुओं को सूखा चारा मुहैया कराने के लिए टेंडर जारी किया गया। संयोग रहा कि किसी ने निविदा ही नहीं डाली। इस बीच बाढ़ की विभीषका के समय पशु चारे के लिए परेशान हैं। भूसा मयस्सर नहीं हो सका। इससे पशु करीब पांच दिनों से भूखे चिघाड़ मार रहे हैं। ऐसे में सूखे चारे के लिए जारी टेंडर और खरीद के सवाल पर जिम्मेदारों की चुप्पी नहीं टूट रही है। कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
साहब का फोन डायवर्ट है! या जब कभी घण्टी बजी तो फोन उठ जाये तो उस दिन आपकी किस्मत साथ दे दी ये समझ लिया करो पल्लवी की तरह !
बाढ़ से पूर्व तैयरी और बाढ़ में बचाव के साथ राहत मुहैया कराने की सीधे जिम्मेदारी जिला प्रशासन की है। लेकिन यहां डीएम विरेन्द्र कुमार सिंह का सीयूजी नंबर लगातार डायवर्ट है। ऐसे में बाढ़ पीड़ित उन तक अपनी आवाज नहीं पहुंचा पा रहे। अधिकतर समय मातहत कह रहे हैं कि साहब कैंप कार्यालय से बाढ़ बचाव की मॉनीटरिंग कर रहे हैं। ऐसे में पल्लवी का सवाल उठना लाजमी है कि बाढ़ बचाव का जो काम जमीनी स्तर पर होना चाहिए वह अब तक क्यों नहीं हो सका। आखिर साहब उस रिपोर्ट का क्या करेंगे जिसमें सदर, फरेंदा, नौतनवा और निचलौल तहसील के सभी बंधों को बेहतर स्थिति में बताया गया था। उन पर क्या कार्रवाई होगी जिन्होंने रैट होल और रेनकट की मरम्मत का दावा किया था।
पड़ताल में सामने आया बाढ़ बचाव तैयारी का सच
झूठ : 1
तैयारी : प्रमुख सचिव और मुख्यमंत्री की वीसी में रिपोर्ट दी गई कि जिले के सभी बंधों और तटबंधों की हालत बेहतर है। लेकिन पनियरा, मझार क्षेत्र, ठूठीबारी और चेहरी में बांध और तटबंध पानी के दबाव को बर्दाश्त नहीं कर सके। सदर तहसील के पनियरा, चेहरी जलमग्न हो गए। फरेंदा, नौतनवा और निचलौल क्षेत्र में पड़ने वाले बांध भी समय पर जवाब दे दिए।
झूठ : 2
मरम्मत : रोहिन, राप्ती, चंदन और प्यास के बांध और तटबंध में रेनकट नहीं हैं। रैट होल को भी बंद कर दिया गया है। लेकिन पनियरा के पास डोमा जर्दी बांध में रैट होल से रिसाव शुरू हुआ और नदी ने बांध तोड़ तबाही मचा दी। चेहरी में भी रैट होल से रिसाव हुआ और देखते ही देखते 20 हजार आबादी और सैकड़ों एकड़ फसल जलमग्न हो गई।
झूठ : 3
बचाव : बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य तेजी से करने की शासन को रिपोर्ट भेजी गई। लेकिन मझार क्षेत्र में पांच दिन बाद भी कोई मदद नहीं पहुंच सकी। पनियरा में प्रशासनिक अमले ने सांसद के दबाव में थोड़ी तेजी दिखाई। लेकिन निचलौल तहसील क्षेत्र में चंदन नदी की तबाही के बाद अब तक अधिकतर क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य नहीं हो सका। इसे लेकर बुधवार को जगह-जगह प्रदर्शन भी हुए।
झूठ : 4
नेपाल : शासन को भेजी रिपोर्ट में प्रशासन बाढ़ के लिए नेपाल को जिम्मेदार बताया है। सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में कहा गया है कि नेपाल से अचानक ज्यादा पानी आने से नदियां ओवरफ्लो हो गईं। लेकिन पड़ताल में यह रिपोर्ट भी झूठी निकली। बाढ़ प्रभावित लोग बता रहे हैं कि विगत चार-पांच सालों से बंधों और तटबंधों पर कोई काम ही नहीं हुआ। इस बार भी कागजी काम हुआ। ऐसे में कमजोर बांध पानी का दबाव बर्दाश्त नहीं कर सके।
पांच करोड़ का हिसाब कौन देगा?
बांध और तटबंधों की मरम्मत के लिए शासन से करीब पांच करोड़ 87 लाख रुपए मिले। सूत्रों के अनुसार सिंचाई विभाग ने मरम्मत के नाम पर सभी पैसे खर्च कर दिए। ऐसे में सवाल उठता है कि इन करोड़ों रुपयों को जिला प्रशासन और सिंचाई विभाग ने कहां और किन बंधों पर खर्च किया। अगर काम हुआ तो रैट होल और रेन कट से जिला कैसे तबाह होने लगा।
अति संवेदनशील कटान स्थलों पर हुई लापरवाही
महाव नाला किमी 8.00 से 23.00 तक
नारायणी-छितौनी किमी 7.50 से 8.50 तक
टेढ़वा बांध किमी 1.00 से 2.50 तक
इन संवेदनशील बांधों पर हुई मनमानी
अनन्तपुर बड़हरा,डोमरा रिंग बांध ,अमहवा रिंग बांध, लक्ष्मीपुर रिंग बांध , नारायणी-छितौनी बांध ,
बसुली गार्ड लाइन ,
नगवा बांध,
लेहड़ा बांध ,
बनदेइया बांध ,
बनहरवा विस्तार बांध ,
भगवानपुर बांध
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