इतिहास, साहित्य, संस्कृति, सभ्यताओं के संकलन ने बनाया पुस्तक को महत्वपूर्ण
सुनील उपाध्याय
बस्ती । प्रेस क्लब में वरिष्ठ साहित्यकार सत्येन्द्रनाथ ‘मतवाला’ कृत ‘बस्ती मण्डल का इतिहास एवं बस्ती मण्डल के गौरव’ पुस्तक का विमोचन साहित्य क्षेत्र के विद्वानों की उपस्थिति में हुआ।
वरिष्ठ कवि, समालोचक दिल्ली से पधारे डा. राधेश्याम बंधु ने पुस्तक की वृहद विवेचना करते हुये कहा कि मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम, महात्मा बुद्ध, कबीर की इस धरती का आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक बोध प्रबल है।
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, लक्ष्मीनारायण लाल, सर्वेश्वरदयाल सक्सेना, रंगपाल की धरती में रचे बसे सत्येन्द्रनाथ ‘मतवाला’ ने मण्डल के आध्यात्मिक, सांस्कृतिक इतिहास को सहेजनें का जो कार्य किया है यह बड़ी उपलब्धि है। कहा कि आने वाली पीढियां इससे अपने इतिहास बोध सेे समृद्ध हो सकेगी।
चांशनी, किसी की दिवाली, किसी का दिवाला, विलाप खण्ड काव्य, बाल सुमन, सच का दस्तावेज जैसी कृतियों के लेखक, रचनाकर डा. रामकृष्ण लाल जगमग ने कहा कि जो समाज अपने इतिहास बोध से कट जाता है उसका भविष्य संदिग्ध हो जाता है। मतवाला ने अपने पुस्तक में धर्म, इतिहास, साहित्य, समाज के विभिन्न सन्दर्भो को जिस सलीके से प्रस्तुत किया है, निश्चित रूप से यह पुस्तक बहु उपयोगी हो गई है और पाठकों के साथ ही शोधार्थियों के लिये भी महत्व की होगी।
सत्येन्द्रनाथ मतवाला ने कहा कि उनका प्रयास रहा है कि ‘बस्ती मण्डल का इतिहास एवं बस्ती मण्डल के गौरव’ पुस्तक में जितने पूर्व के सन्दर्भ ग्रन्थ उपलब्ध हुये उन पर गहन विवेचना के बाद ही उसे स्थान मिला है, साथ ही बस्ती के साहित्यकारों, समाजसेवियों को भी स्थान मिला है। डा. त्रिभुवन प्रसाद मिश्र ने कहा कि मण्डल के लिये यह पुस्तक दस्तावेज के रूप में अपनी भूमिका निभायेगी इसमें संदेह नहीं। संयुक्त कृषि निदेशक डा. ओ.पी. सिंह ने कहा कि इतिहास, साहित्य, संस्कृति, सभ्यताओं का संकलन श्रम साध्य कार्य है। निश्चित रूप से लेखक साधुवाद के पात्र है। जिला पूर्ति अधिकारी रमन मिश्र ने कहा कि इतिहास, वर्तमान का संकलन सुखद और प्रेरणादायी है। पत्रकार प्रदीप चन्द्र पाण्डेय ने कहा कि डा. राजेन्द्रराय के बाद मतवाला जी की पहल स्वागत योग्य है।
पुस्तक के विमोचन अवसर पर डा. ज्ञानेन्द्र द्विवेदी ‘दीपक’, डा. राममूर्ति चौधरी, विनोद उपाध्याय, अजित श्रीवास्तव ‘राज’ डा. अफजल हुसेन अफजल, पंकज सोनी, डा. पारसवैद्य, लालमणि प्रसाद, हरीश दरवेश के साथ ही अनेक साहित्यकार, समाजसेवी उपस्थित रहे।
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