राजेन्द्र कमल
परशुरामपुर, बस्ती। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि "बेहतर साफ सफाई से ही भारत को आदर्श गांवों का देश बनाया जा सकता है!" लेकिन बापू का यह विचार जमीनी धरातल पर कुछ और ही तस्वीर दिखा रहा है।
बस्ती जिले के परशुरामपुर विकास खंड मुख्यालय का कस्बा ही गंदगी और जल जमाव का शिकार है। इसने आम जनजीवन को नारकीय बना रखा है।राजनैतिक स्वतंत्रता ने स्वच्छता अभियान को भी रौंद दिया है। यहाँ भी गांधीगीरी की नयी इबारत देखने को मिल रही है। करीब दस हजार आबादी के इस कस्बे में तैनात इकलौता सफाईकर्मी सुभाष भी पिछले एक वर्ष से बस्ती जिला मुख्याल से सम्बद्ध है।
यही नहीं, सफाई कर्मी आबादी वाले क्षेत्रों में तैनाती ही नहीं चाहते हैं। अभी तक तो चला पर अब बारिश से जाम नालियों को कौन साफ करेगा? इस बात पर परशुरामपुर के प्रभारी बीडीओ रामरेखा सरोज ने परशुरामपुर प्रधान को यहाँ तक राय दे डाली कि इसकी शिकायत वह डीपीआरओ से करें। कस्बे के लोगों को भी इस बात से काफी नाराजगी है कि तमाम शिकायतों के बाद भी समय रहते जल निकास की व्यवस्था नहीं बनायी गयी और अब बरसात का पानी उनके घरों में जा रहा है जिससे न सिर्फ रहन सहन प्रभावित है बल्कि बीमारियों का डर भी सता रहा है।
परशुरामपुर कस्बे के लोगों का कहना है कि पंचायत विभाग जल निकासी व साफ सफाई की त्वरित व्यवस्था बहाल कराये।
इस मसले पर एडीओ पंचायत परमात्मा प्रसाद ने बताया कि ब्लाक में 40 सफाईकर्मियों की कमी है। इसलिए अव्यवस्था हो रही है। अब सवाल यह उठता है कि कम आबादी वाले दर्ज़नों गांवों में सफाईकर्मी तैनात हैं, परंतु अधिक आबादी वाले क्षेत्रों में क्यों नहीं?
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