ए. आर. उस्मानी
गोण्डा। नवाबगंज के पूर्व माध्यमिक विद्यालय काजीपुर में स्वामी विवेकानंद जी के जन्म दिवस के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें स्वामी विवेकानंद के चित्र पर माल्यार्पण कर उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला गया। इस दौरान स्कूल के बच्चों ने पोस्टर और क्विज कम्पटीशन आदि कार्यकर्मों में हिस्सा लिया। इस अवसर पर प्रधानाध्यापिका श्रीमती सरोजिनी देवी, राम सुंदर प्रजापति, सत्येंद्र प्रताप सिंह एवं रोहिताश द्विवेदी भी कार्यक्रम में भागीदारी रहे। बच्चों ने बड़े हर्ष एवं उल्लास से स्वामी विवेकानंद जी के जन्म दिवस को मनाया और उनके जीवन परिचय से प्रेरणा प्राप्त की।
बच्चों को संबोधित करते हुए शिक्षक देवता प्रसाद जायसवाल ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था। उनकी मृत्यु 4 जुलाई 1902 को हुआ। वे वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्द की वक्तृता के कारण ही पहुँचा। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। उन्हें 2 मिनट का समय दिया गया था लेकिन उन्हें प्रमुख रूप से उनके भाषण की शुरुआत "मेरे अमरीकी भाइयों एवं बहनों" के साथ करने के लिये जाना जाता है। उनके संबोधन के इस प्रथम वाक्य ने सबका दिल जीत लिया था।
कलकत्ता के एक कुलीन बंगाली कायस्थ परिवार में जन्मे विवेकानंद आध्यात्मिकता की ओर झुके हुए थे। वे अपने गुरु रामकृष्ण देव से काफी प्रभावित थे जिनसे उन्होंने सीखा कि सारे जीवों में स्वयं परमात्मा का ही अस्तित्व है। रामकृष्ण की मृत्यु के बाद विवेकानंद ने बड़े पैमाने पर भारतीय उपमहाद्वीप का दौरा किया और ब्रिटिश भारत में मौजूदा स्थितियों का प्रत्यक्ष ज्ञान हासिल किया। बाद में विश्व धर्म संसद 1893 में भारत का प्रतिनिधित्व करने, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए प्रस्थान किया। विवेकानंद ने संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोप में हिंदू दर्शन के सिद्धांतों का प्रसार किया और कई सार्वजनिक और निजी व्याख्यानों का आयोजन किया। भारत में विवेकानंद को एक देशभक्त संन्यासी के रूप में माना जाता है और उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ