ए. आर. उस्मानी
गोण्डा। मुख्यमंत्री से लेकर डीजीपी और एसपी तक हर घटना की एफआईआर दर्ज कर कठोर कार्रवाई का आदेश दे रखे हैं ।
लेकिन जिले के मोतीगंज की पुलिस पर इसका कोई असर नहीं दिखाई दे रहा है। पुलिस की बेलगामी और लापरवाही का नतीजा है कि एक दलित परिवार पर दबंगों का गुस्सा कहर बनकर टूटा, जिसमें कार्रवाई करने के बजाय पुलिस ने महज एनसीआर दर्ज करके मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। पीड़ित परिवार ने पुलिस अधीक्षक से न्याय की गुहार लगाई है।
लेकिन जिले के मोतीगंज की पुलिस पर इसका कोई असर नहीं दिखाई दे रहा है। पुलिस की बेलगामी और लापरवाही का नतीजा है कि एक दलित परिवार पर दबंगों का गुस्सा कहर बनकर टूटा, जिसमें कार्रवाई करने के बजाय पुलिस ने महज एनसीआर दर्ज करके मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। पीड़ित परिवार ने पुलिस अधीक्षक से न्याय की गुहार लगाई है।
मोतीगंज थाना क्षेत्र के चकसड़ गांव की सुखराजी पत्नी राम आधार ने पुलिस अधीक्षक को प्रार्थना पत्र दिया है जिसमें कहा गया है कि 22 मई की शाम करीब 8.30 बजे गांव के ही सुखराम वर्मा, इन्दर, बुधराम पुत्रगण निबरे, राम अवध, सुभाष व अवधराज पुत्रगण बुधराम उसके घर पर चढ़ आए और मां-बहन की भद्दी भद्दी गालियां देते हुए घर में घुसकर अपने साथ लाए धारदार हथियार व लाठी से हमला कर दिए, जिसमें प्रार्थिनी के साथ ही उसका पति राम आधार तथा पुत्र अरविंद, सुखराम व परमजीत घायल हो गए।
इस घटना की मोतीगंज पुलिस द्वारा महज एनसीआर दर्ज की गई है जबकि दबंगों द्वारा जाति सूचक शब्दों का प्रयोग करने के साथ ही धारदार हथियार से मारने के भी आरोप लगाए गये हैं। सच तो यह है कि मोतीगंज थाने में थानाध्यक्ष की लापरवाही तथा निरंकुशता के कारण पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पा रहा है जिससे पीड़ितों को पुलिस अधीक्षक तथा डीआईजी का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है।
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