रिपोर्ट:सुहैल आलम
सुल्तानपुर-मजरूह सुल्तानपुरी बीसवीं सदी के उर्दू /हिंदी के मशहूर शायर है जिनकी याद में सुल्तानपुर के दानिश एजुकेशन ग्रुप गजेहड़ी में एक काव्य गोष्ठी का आयोजन मिर्जा इसराक बेग के आयोजन में सोशल डिस्टेंस को ध्यान में रखकर सम्पन्न हुआ।
कार्य कर्म का आगाज़ नातिया कलाम से तौहीद सुल्तानपुरी ने किया, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व जिला जज तनवीर अहमद वस्फ़ी, अध्यक्षता मोहम्मद हसरत और संचालन आमिल सुल्तानपुरी ने किया।
कार्यक्रम में अलिफ़ सीन कादरी ने "तुझपे लाज़िम है कि हर आन मुझे ध्यान में रख,खो गया मैं तो दोबारा नही मिलने वाला" पढ़ के खूब वाहवाही बटोरी,
ज़ाहिल सुल्तानपुरी ने
"कहां था प्रेम मैने और तुमने वासना समझा, निरे ज़ाहिल हो तुमको प्रेम के मायने नही आये" तनवीर वस्फ़ी ने
"अपने क़दमों की धूल है प्यारे,तू जिसे क़हक़हा समझता है" पढ कर सुनाया कार्यक्रम में शायर,डॉ वजीहुल कमर,हबीब अजमली, अय्यूब सुल्तानपुरी, डॉ सलीम नजमी, डॉ शाहनवाज आलम,मोहम्मद तौहीद,डॉ मन्नान सुल्तानपुरी, आमिल सुल्तानपुरी, सहित मौजूद रहे।
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