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मनकापुर:गाय पालकर गौ सेवा के साथ एक अच्छा व्यवसाय भी कर सकती हैं महिलाएं : अर्चना सिंह

  

इमरान अहमद

मनकापुर गोण्डा :- गाय का दूध अमृत समान होता है। जिनके पंच गव्य से निर्मित उत्पादो के सेवन करने से हमे स्वाथ्य लाभ के साथ-साथ तमाम बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है,और गाय पालकर आप एक अच्छा व्यवसाय भी कर सकते हैं। यह बातें शुक्रवार को छपिया के सहायक विकास अधिकारी,उद्योग सेवा एवं व्यवसाय इंदल प्रसाद ने पटखौली के गजरहवां गांव में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में कही।  

प्रशिक्षण में आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अधीन कार्यरत कृषि विज्ञान केंद्र मनकापुर गोंडा की गृह वैज्ञानिक डॉ अर्चना सिंह ने महिलाओं के उत्थान को दृष्टिगत रखते हुए आयोजित किया। कार्यक्रम के शुभारंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए देशी गाय पर प्रकाश डाला और किसानों को बताया कि अब बछड़े की समस्या का समाधान हो गया है।

हमारे वैज्ञानिकों ने नया सीमेन तैयार कर लिया है। जिसको डालने पर 100 प्रतिशत बछिया ही पैदा होगी। डाॅ. सिंह ने यह भी कहा की सभी महिलाएं गौशाला से एक-एक गाय लेकर अपने घरों में बांधे व उनके मूत्र व गोबर से अनेको प्रकार के उत्पाद बनाकर बाजार में आर्थिक उन्नयन हेतु विपणन किया जा सकता है। जिससे अपने भारतीय संस्कृति की धरोहर,स्वास्थ्य व सुख शांति का संचय हो।

इस प्रशिक्षण का तकनीकी सत्र सीतापुर के राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विभाग प्रशिक्षक राधेश्याम सोनी द्वारा गौ प्रार्थनाकर कार्यक्रम की शुरुवात की गयी। उन्होने प्रशिक्षण के दौरान देसी गाय का कृषि में महत्व समझाते हुए बताया कि दस ग्राम देसी गाय के गोबर में करोडो़ण् स्ूाक्ष्म जीवाणु पाये जाते है। जिसमे गुड़,बेसन डालकर खमीरीकरण करके जीवाणुओं की संख्या बढ़ाई जा सकती है। प्रशिक्षण में गौमाता के गोबर व मूत्र से जीवामृत,धनजीवामृत,बीजामृत, ब्रम्हास्त्र कीट नियंत्रक,दसपर्णी अर्क आदि बनाने का फार्मूला भी बताया गया। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती करने से केचुआ व अन्य जीवांश मिट्टी में खुद ही पनप जाते हैं। इस खेती से हमारी मृदा,पर्यावरण,स्वास्थ्य पर अनुकूल असर पड़ता है। प्राकृतिक खेती में अधिक लाभ पाने के लिए सभी किसानों को प्रेरित किया कि सड़क पर घूम रहे छुट्टा जानवरों को अपने घर पर लाकर बांधे। जिससे इनके गोबर व मूत्र से विभिन्न प्रकार की औषधि बनाकर अच्छा पैसा भी कमा सकते हैं। इस प्रशिक्षण में पंच गव्य उत्पाद निर्माण के अंर्तगत गौ माता के गोबर से दिया बनाना, कामधेनु मंजन, धूपबत्ती, अमृत धारा, साबुन, गोनाइल, शैम्पू आदि बनाने का प्रशिक्षण खुद देखकर, बनाकर सीखो के आधार पर प्रशिक्षण दिया गया। जिसको सीखकर स्वयं सहायता समूह की महिला बहनें गौ रक्षाकर घर पर सामग्रियाॅ तैयार समूह को सुदृह बनाया जा सके। 


 एक गाय से 15 एकड़ खेती करें


हमें आवश्यकता है ऐसी कृषि पद्धति जिससे उत्पादन न घटे। खेत उपजाऊ बने रहें। मानव रोगी न बने। वह है गौ आधारित आध्यात्मिक प्राकृतिक कृषि, जिसमें खेत के लिए कुछ भी बाजार से नहीं खरीदना है, सिर्फ एक देशी गाय पालना है।


यह प्रशिक्षण पं. सूर्य प्रकाश दूबे जी के निवास प्रांगण में,  ग्राम पटखौली गजरहवां, विकास खण्ड छपिया में उनके अनुरोध पर आयोजित किया गया। उनके अनुरोध पर गौ अर्क निकालने का यंत्र भी लगवाया गया, जिससे अर्क हमेशा निकलता रहे। गौमूत्र अर्क मानव स्वास्थ के लिए भी बहुत फायदेमंद हैं। अर्क से ही गोनाइल व अन्य दवाइयों को बनाया जाता हैं। इस प्रशिक्षण में आॅगनबाड़ी कार्यकत्रियाॅ, स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं ने प्रतिभाग किया व रूचि लेकर सामानों को लिखा व सीखा। प्रशिक्षण में निदेशक प्रसार डा. ए. पी. राव, बाल विकास परियोजना अधिकारी, सहायक विकास अधिकारी पंचायत, उद्योग सेवा एवं व्यवसाय, पटखौली के युवा प्रधान अंकुर सिंह, मुख्य सेविका इंद्रावती वर्मा आदि का प्रोग्राम को सफल बनाने में विशेष योगदान रहा। इस प्रशिक्षण में बाबादीन तिवारी, वीरेन्द्र कुमार तिवारी, श्रुतिकीर्ति, निर्मला, रेनु, सीमा, सरिता समेत 80 लोगो ने प्रतिभाग किया। डा. सिंह ने संचालन व सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया।

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